नई दिल्ली। विश्व भर को रूढ़िवाद से आगे निकलने की सीख देने वाला फ्रांस आज भी नस्लवाद की चपेट मे है। भले ही वह दिखावा कुछ भी करता हो, लेकिन नस्लवाद आज भी उसके जीन में है। फीफा विश्व कप का फाइनल मैच हारने के बाद फ्रांस के दो खिलाड़ियों को इस पीड़ा का सामना […]
नई दिल्ली। विश्व भर को रूढ़िवाद से आगे निकलने की सीख देने वाला फ्रांस आज भी नस्लवाद की चपेट मे है। भले ही वह दिखावा कुछ भी करता हो, लेकिन नस्लवाद आज भी उसके जीन में है।
फीफा विश्व कप का फाइनल मैच हारने के बाद फ्रांस के दो खिलाड़ियों को इस पीड़ा का सामना करना पड़ा, सोशल मीडिया से लेकर पत्रिकाओं तक ने इन खिलाड़ियों के साथ नस्लीय दुर्व्यवहार किया।
फीफा विश्व कप के फाइनल के दौरान पैनल्टी शूटआउट के दौरान टीम के किंग्सली कोमान और ओहेलियां चूयामेनी गोल नहीं कर पाये जिसकी बदौलत फ्रांस को हार का सामना करना पड़ा, इस हार के बाद फ्रांस मे सोशल मीडिया एवं कुछ चयनित पत्रिकाओं मे कोमान ओर चूयामेनी के खिलाफ नस्लवादी टिप्पणियां की है।
इस घटना से कम से कम यह तो प्रतीत हो जाता है कि अपने आप को धर्म और नस्ल से अछूता बातने वाले फ्रांस की जनता अभी भी इस नस्लवाद की चपेट में है जो कि उनकी ये भावना व्यक्तिगत नहीं है बल्कि वे लोग इस भावना को सार्वजनिक करने का भी दम रखते हैं।
फीफा विश्व कप फाइनल में फ्रांस को अर्जेंटीना के हाथों मिली करारी हार से आहत फ्रांस की जनता एवं वहां की मीडिया ने नस्लवाद टिप्पणी कर दी। यह टिप्पणी फ्रांस की फुटबॉल टीम के दो खिलाड़ियों किंग्सली कोमान और ओहेलियां चूयामेनी के ऊपर की गई। जिसके बाद फ्रेंच फुटबॉल फ़ेडरेशन ने बाताया है की इस टिप्पणी से वह बेहद आहत है और इसके खिलाफ कानूनी शिकायत दर्ज की जाएगी।