नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति आवास ‘व्हाइट हाउस’ की नेम-प्लेट पर अब नया नाम दर्ज होगा. मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन को दूसरी कार्यकाल मिलने की उम्मीदों पर पूर्ण विराम लग गया है. बाइडेन ने फिर से राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. उन्होंने रविवार-21 जुलाई को डेमोक्रेटिक पार्टी की अपनी उम्मीदवारी लौटा दी. इसके […]
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति आवास ‘व्हाइट हाउस’ की नेम-प्लेट पर अब नया नाम दर्ज होगा. मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन को दूसरी कार्यकाल मिलने की उम्मीदों पर पूर्ण विराम लग गया है. बाइडेन ने फिर से राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. उन्होंने रविवार-21 जुलाई को डेमोक्रेटिक पार्टी की अपनी उम्मीदवारी लौटा दी. इसके बाद अब डेमोक्रटिक पार्टी की ओर से नया उम्मीदवार का ऐलान किया जाएगा.
आइए आपको उन तीन बड़ी वजहें बताते हैं जिन्होंने बाइडेन को पीछे हटने के लिए मजबूर किया है…
2016 से 2020 तक अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी पर विराजमान रहे डोनाल्ड ट्रंप ने 2024 में फिर से अपनी दावेदारी ठोकी है. ट्रंप को रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी भी मिल गई है. उन्होंने पहली प्रेसीडेंसियल बहस में बाइडेन को बुरी तरह मात दी है. इसके अलावा हाल ही में हुए गोलीकांड के बाद ट्रंप के पक्ष में सहानुभूति की लहर है. पूरे देश में ट्रंप की अचानक बढ़ी लोकप्रियता बाइडेन के पीछे हटने की बड़ी वजह रही है.
जो बाइडेन की बढ़ती उम्र भी उनके दोबारा राष्ट्रपति बनने की राह में बड़ा रोड़ा साबित हुई है. 81 के हो चले बाइडेन पर अब उम्र का असर साफ दिखने लगा है. बीते दिनों में वह कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में अजीब हरकतें करते हुए देखे गए हैं. हाल में में एक कार्यक्रम में बाइडेन किसी दूसरी महिला को अपनी पत्नी समझ बैठे थे और उसे किस करने जा रहे थे.विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी नेताओं ने बाइडेन की उम्र को चुनाव में बड़ा मुद्दा बना लिया. ऐसे में बाइडेन के राष्ट्रपति चुनाव से पांव खींचने की एक बड़ी वजह यह भी रही है.
बाइडेन के पीछे हटने की तीसरी और सबसे बड़ी वजह चुनावी चंदा देने वाली कंपनियों का दबाव है. डेमोक्रेटिक पार्टी को डोनेशन देने वाली ज्यादातर कंपनियां नहीं चाहती थीं कि बाइडेन इस बार राष्ट्रपति उम्मीदवार बनें. चंदा देने वाली कंपनियों का मानना था कि बाइडेन अपने विपक्षी उम्मीदवार ट्रंप को टक्कर नहीं दे पाएंगे. इसी वजह से उन्होंने डेमोक्रटिक पार्टी के सामने शर्त रख दी थी कि जब तक किसी दूसरे नेता को उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा वो चुनावी चंदा नहीं देंगी.