अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने येरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है. तुर्की के विदेश मंत्री ने फैसले के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस कदम को एकदम गैरजिम्मेदाराना और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ बताया है. वहीं दूसरी तरफ, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को इस मसले पर एक बैठक बुलाई है.
वॉशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा येरूशलम को फिलिस्तीन की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के बाद शुक्रवार को संयुक्त सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई गई है. तुर्की के विदेश मंत्री ने इस निर्णय के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस कदम को एकदम गैरजिम्मेदाराना और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ बताया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को इस मामले पर एक बैठक बुलाई है. सुरक्षा परिषद के 15 में से कम से कम 8 सदस्यों ने वैश्विक निकाय से विशेष बैठक बुलाने की मांग की है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस वार्ता के लिए आठ देशों ने अपनी गुहार लगाई थी. यह बैठक शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे होगी. काउंसिल के जापानी अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक में अन्य मामलों पर भी चर्चा की जाएगी. सऊदी अरब ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है उन्होंने इस फैसले को ‘अन्यायपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना’ करार दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि इससे मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया तेज होगी और टिकाऊ समझौते का मार्ग प्रशस्त होगा. उन्होंने कहा कि वे अमरिकी दूतावास को आदेश देंगे कि अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम स्थानांनतरित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए. ट्रंप के इस फैसले पर कई अरब देशों के नेताओं पहले से ही संवेदनशील पश्चिम एशिया में और तनाव बढ़ने की चेतावनी दी है.
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में कहा कि अतीत में असफल नीतियों को दोहराने से हम अपनी समस्या का हल नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि आज घोषणा इजरायल और फलीस्तीनी एरिया के बीच विवाद के प्रति एक नए नजरिए की शुरुआत है. बता दें कि ट्रंप ने 2016 में अपने चुनाव अभियान के दौरान इसका वादा किया था. ट्रंप के इस फैसले पर अरब नेताओं ने चेताया कि पश्चिम एशिया और दूसरी जगहों पर व्यापक विरोध विरोध प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं.
अरब लीग ने बुलाई आपात बैठक
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले से नाराज अरब लीग ने शनिवार को सदस्य देशों की आपात बैठक बुलाई है. फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला, मिस्त्र के राष्ट्रपति आब्देल फतह अल-सीसी और सऊदी अरब के शाह सलमान ने ट्रंप के इस फैसले पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. फलस्तीन ने इसे मुस्लिमों और ईसाइयों के खिलाफ जंग करार दिया है.
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मंगलवार को इन सभी नेताओं को फोन कर अपने निर्णय के बारे में पहले की अवगत करा दिया था. राष्ट्रपति ट्रंप के प्रयास पर ईरान ने भी कड़ी आपत्ति जताई है. वहीं राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा है कि इस्लामी मान्यता पर यह आघात मुस्लिम लोग कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे. तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने इस मामले पर 13 दिसंबर को इस्लामिक देशों की बैठक बुलाई है. इतना ही नहीं तुर्की ने इजरायल से कूटनीतिक संबंध तोड़ने तक की घोषणा कर दी है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बैठक में अमेरिकी कदम से पड़ने वालों प्रभाव पर चर्चा की जाएगी. ब्रिटेन में फलस्तीन के मुख्य प्रतिनिधि मैनुएल हसनैन ने कहा है कि ट्रंप का आदेश प्रभावी हुआ तो यह मध्य-पूर्व में युद्ध का एलान होगा.
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