दुनिया नई दिल्ली, नेपाल की अर्थव्यवस्था को अब एक और बड़ा झटका लगा है. जहाँ नेपाल इस साल अपने ग्रोथ टारगेट यानी विकास लक्ष्य को हासिल कर पाने में असफल रहा है. आर्थिक संकटों के बीच फंसे नेपाल के लिए ये बुरी खबर है. पर्यटन क्षेत्र को हुआ नुक्सान नेपाल के वरिष्ठ अधिकारी ने एक […]
नई दिल्ली, नेपाल की अर्थव्यवस्था को अब एक और बड़ा झटका लगा है. जहाँ नेपाल इस साल अपने ग्रोथ टारगेट यानी विकास लक्ष्य को हासिल कर पाने में असफल रहा है. आर्थिक संकटों के बीच फंसे नेपाल के लिए ये बुरी खबर है.
नेपाल के वरिष्ठ अधिकारी ने एक बातचीत में बताया है कि देश को कोरोना महामारी के कारण पर्यटन क्षेत्र में काफी नुक्सान देखने को मिला है. इस समय बढ़ती महंगाई के कारण देश में आर्थिक संकट की मार भी झेली जा रही है. नेपाल में ये हालात काफी लम्बे समय से संकेत दे रहे थे. जब 16 जुलाई से शुरू हुए मौजूदा वित्त वर्ष (2021-22) की शुरुआत से ही आर्थिक संंकेतकों में गिरावट आनी शुरू हो गयी थी. नेपाल में मौजूदा वित्त वर्ष की स्थिति भी खराब ही नज़र आ रही है. जहाँ बीते आठ महीनों के भीतर ही विदेशी मुद्रा भंडार में क़रीब 17 फ़ीसदी की गिरावट देखि गयी है.
नेपाल का ये हाल कोरोना महामारी के समय बढ़ते आयात के चलते भी हुआ है. जहाँ देश में पर्यटन बुरी तरह से प्रभावित रहा और कोरोना से लड़ने के लिए पिछले दो वर्षों में कई ऐसी चीज़ें रही जिनका आयात देश ने किया. जिस कारण अब नेपाल का व्यापार घाटा बढ़कर 1.29 लाख करोड़ नेपाली रुपये तक बढ़ चुका है.
आर्थिक चिंताओं को देखते हुए नेपाल में लग्ज़री वस्तुओं के आयात पर अब पाबंदी लगा दी गयी है. ऐसा घटते विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए किया जा रहा है. दूसरी ओर 29 मिलियन लोगों की आबादी वाले इस देश में आर्थिक संकट की चिंताओं के बीच सेंट्रल बैंक के गवर्नर को भी निलंबित कर दिया गया है.
इसी बीच नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर ये है जुलाई मध्य के लिए में नेपाल ने अपना जीडीपी लक्ष्य सात फ़ीसद तय किया था. लेकिन अब इस स्थिति में उसका ये लक्ष्य उपलब्ध कर पाना संभव होता नज़र नहीं आ रहा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में बात करते हुए चिंता जताई है कि ये लक्ष्य केवल 4 फीसदी तक ही सिमट क्र रह जाएगा.
नेपाल की इस खराब स्थिति का एक कारण रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध भी है. जिससे पूरे विश्व में इस समय कच्चा तेल, कोयला और खाद्य तेलों की आसमान छूती कीमतों के बीच नेपाल भी जूंझ रहा है. जहाँ नेपाल की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे ही सही कोरोना के संकट से उबर रही थी की एक और संकट उसके सामने युद्ध के तौर पर आ गया है.