Earthquake: हाल के दिनों में म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप के बाद अब जापान से एक डरावनी खबर सामने आई है. जापान सरकार ने नानकाई गर्त क्षेत्र में एक संभावित महाभूकंप और सुनामी की चेतावनी जारी की है. जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि यदि यह भूकंप आता है तो यह अभूतपूर्व तबाही मचा सकता है. जिसमें करीब 298,000 लोगों की जान जा सकती है और देश को 1.81 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है.

म्यांमार से जापान तक भूकंप का कहर

म्यांमार में हाल ही में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने 3,000 से अधिक लोगों की जान ले ली और भारी तबाही मचाई. इसके बाद थाईलैंड, नेपाल, भारत, और पापुआ न्यू गिनी जैसे देशों में भी झटके महसूस किए गए. इसी बीच जापान सरकार ने अपनी ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि प्रशांत महासागर के तट पर स्थित नानकाई गर्त में 8 से 9 तीव्रता का भूकंप आने की 80% संभावना है. यह भूकंप इतना शक्तिशाली हो सकता है कि इसके बाद आने वाली सुनामी सैकड़ों इमारतों को खात्मा कर देगी.

2024 में भी दी गई थी चेतावनी

जापान ने इससे पहले 2024 में भी नानकाई गर्त में महाभूकंप की आशंका जताई थी. अगस्त 2024 में 7.1 तीव्रता के भूकंप के बाद जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (JMA) ने पहली बार ‘मेगाक्वेक’ चेतावनी जारी की थी. उस समय भी 9 तीव्रता के भूकंप की संभावना व्यक्त की गई थी. जापान का इतिहास भूकंपों से भरा रहा है. जहां हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. 2011 का तोहोकू भूकंप इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जिसमें 9 तीव्रता के झटके और सुनामी ने 15,000 से अधिक लोगों की जान ली थी.

भयावह तबाही का अनुमान

जापान सरकार की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार यदि सबसे खराब स्थिति बनती है जैसे सर्दियों की रात में 9 तीव्रता का भूकंप आता है तो सुनामी और ढहती इमारतों से 298,000 लोगों की मौत हो सकती है. इसके अलावा 12.3 लाख लोग प्रभावित हो सकते हैं जो देश की कुल आबादी का 10% है. आर्थिक नुकसान की बात करें तो यह 1.81 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. जो जापान की जीडीपी का लगभग आधा हिस्सा है. रिपोर्ट में महंगाई नए ग्राउंड डेटा और बाढ़ क्षेत्रों के विस्तार को भी शामिल किया गया है.

नानकाई गर्त, भूकंप का केंद्र

नानकाई गर्त जापान के दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत तट पर 900 किलोमीटर तक फैला एक समुद्री क्षेत्र है. यहां फिलीपीन सागर प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसक रही है. जिससे टेक्टोनिक तनाव बढ़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में हर 100-150 साल में एक महाभूकंप आता है. आखिरी बड़ा भूकंप 1946 में आया था. जिसने 1,300 से अधिक लोगों की जान ली थी. अब 80 साल बाद खतरा फिर से मंडरा रहा है. जापान सरकार ने लोगों से सतर्क रहने और आपातकालीन तैयारियों को मजबूत करने की अपील की है.

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