नई दिल्ली। सीक्रेट्स दस्तावेज मामले में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर लगे 37 आरोपों को शुक्रवार यानी 9 जून को सार्वजनिक कर दिया गया। इनमें से 31 आरोप राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज को फर्जी तरीके से रखने के हैं। इसके अलावा उन पर डाक्यूमेंट्स होने की बात छिपाने, न्याय में बाधा डालने […]
नई दिल्ली। सीक्रेट्स दस्तावेज मामले में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर लगे 37 आरोपों को शुक्रवार यानी 9 जून को सार्वजनिक कर दिया गया। इनमें से 31 आरोप राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज को फर्जी तरीके से रखने के हैं। इसके अलावा उन पर डाक्यूमेंट्स होने की बात छिपाने, न्याय में बाधा डालने और झूठे बयान देने का आरोप लगाया गया है।
बीबीसी के मुताबिक, 49 पेज की चार्जशीट में कहा गया है कि ट्रंप ने इन दस्तावेजों को अपने बाथरूम, ऑफिस, बॉलरूम, स्टोर रूम और बेडरूम में छुपाया था। अभियोजकों ने यह भी कहा कि एफबीआई की जांच में बाधा डालने के लिए ट्रम्प ने अपनी सभी फाइलों को छिपाने या नष्ट करने का आदेश दे दिया था। यह पहली बार है जब किसी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति पर इतने संगीन आरोप लगे हैं। जांच एजेंसी न्याय विभाग ने ट्रंप के घर से बरामद दस्तावेजों की कई तस्वीरें भी जारी की हैं।
CNN के अनुसार चार्जशीट में कहा गया है कि पिछले साल एफबीआई ने ट्रंप के पास से 337 सरकारी दस्तावेज जब्त किए थे। इनमें से 21 दस्तावेजों को टॉप सीक्रेट करार दिया गया था। ये ऐसे दस्तावेज़ हैं जिनमें सबसे संवेदनशील जानकारी होती है। जिसकी सिर्फ सीमित लोगों की ही पहुंच है। इसमें गुप्त सूचनाओं को सुरक्षित रखा जाता है। इसके अलावा 9 दस्तावेजों पर सीक्रेट लिखा हुआ था। ये वो फाइलें हैं, जिनके लीक होने पर अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।
ट्रम्प ने क्लासिफाइड फाइलों को छुपाया, जिसमें अमेरिकी के न्यूक्लियर प्रोग्राम्स और अन्य देशों की रक्षा और हथियारों क्षमताओं की पर विवरण शामिल था। 2020 की एक फाइल में दूसरे देशों की परमाणु क्षमताओं के बारे में खुफिया जानकारी थी। इसके अलावा ट्रम्प ने वह फाइल भी अपने पास रखा था, जिसमें अमेरिका के युद्ध नीतियों, अमेरिका और उसके सहयोगियों की कमजोरी भी लिखी थी।
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