नई दिल्ली: 12 साल बाद पाकिस्तान का कोई बड़ा राजनीतिक चेहरा भारत में दिखाई दिया है. जहां गुरुवार को पाक विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी SCO बैठक में शामिल होने के लिए गोवा पहुंचे. जहां शुरुआत में तो पाकिस्तान ने अपनी नज़रें दिखाईं फिर अचानक ही पाकिस्तान ने घोषणा कर दी कि विदेश मंत्री बिलावल […]
नई दिल्ली: 12 साल बाद पाकिस्तान का कोई बड़ा राजनीतिक चेहरा भारत में दिखाई दिया है. जहां गुरुवार को पाक विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी SCO बैठक में शामिल होने के लिए गोवा पहुंचे. जहां शुरुआत में तो पाकिस्तान ने अपनी नज़रें दिखाईं फिर अचानक ही पाकिस्तान ने घोषणा कर दी कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत जाएंगे.
गुरुवार सुबह भारत के लिए रवाना होने से पहले पाक विदेश मंत्री ने अपने ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया था और कहा था कि उनका गोवा आना इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान SCO को कितनी गंभीरता से लेता है. लेकिन एक सवाल ये भी बनता है कि क्या सच में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय संगठन को इतनी अहमियत देता है? या भारत के डर से वह भारत दौरे पर पहुंचा.
बता दें, 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस को चीन का डर सताने लगा कि कहीं वह बाकी के छोटे देशों को अपने कब्ज़े में ना कर ले. 1996 में शंघाई शहर में ऐलान किया गया कि शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (Shanghai Cooperation Organization) की स्थापना की जाएगी. इसमें शंघाई 5’. रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान सदस्य देश रहे. उज्बेकिस्तान के जुड़ते ही साल 2001 में इसका नाम बदलकर SCO कर दिया गया. इस संगठन की प्राथमिकता आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाना और धार्मिक कट्टरता को कम करना रही.
अगर चीन किसी संगठन का मुख्य सदस्य है तो इससे पाकिस्तान को जरूर ख़ुशी होगी. क्योंकि अफगानिस्तान, चीन और रूस के बीच में पाकिस्तान स्थित है जो इस संघठन से अलग नहीं होना चाहता है. अब रूस भी पाकिस्तान को सस्ती कीमतों पर कच्चा तेल दे रहा है तो वह उसे भी नाराज़ नहीं करना चाहता है. इस संगठन की मीटिंग में पक्के तौर पर भारत आतंकवाद का मुद्दा उठाएगा। यदि ऐसा होता है तो पाकिस्तान के लिए खुद का बचाव कर पाना मुश्किल हो जाएगा. दूसरी ओर पकिस्तान में कंगाली का दौर भी जारी है इसलिए एंटी टेरेरिज्म के नाम पर अमेरिका से ली जाने वाली करोड़ों डॉलर्स की राशि उसके लिए बड़ी मदद है. यही कारण है कि इस SCO पर उसकी नज़र रही जिससे आतंकवाद रोधी अभियान का हवाला देकर वह आसानी से फंडिंग निकलवा सके.
इसके अलावा भी एक ऐसा कारण है जिसने पाकिस्तान को 12 साल बाद भारत आने पर मजबूर कर दिया. दरअसल आतंकवाद पर लगाम नहीं कस पाने वाले मुल्क के तौर पर पाकिस्तान अलग-थलग पड़ सकता है. इसलिए भारत के कूटनीतिक दबाव से पाकिस्तान के मन में कहीं न कहीं खौफ है जिस कारण वह SAARC वाली स्थिति से बचने के लिए वह SCO में शामिल होने पर मजबूर हो गया.
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