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नेपाल में हिंदू राष्ट्र और राजशाही की मांग ने लिया हिंसक रूप, काठमांडू में कर्फ्यू, सड़कों पर तनाव…क्या होगा तख्तापलट?

नेपाल की राजधानी काठमांडू में राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया. तिनकुने, सिनामंगल और कोटेश्वर जैसे इलाकों में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कर्फ्यू लागू कर दिया है. 

Kathmandu violent
inkhbar News
  • March 28, 2025 6:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 days ago

Kathmandu violent: नेपाल की राजधानी काठमांडू में शुक्रवार, 28 मार्च 2025 को हालात उस समय बेकाबू हो गए. जब राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया. तिनकुने, सिनामंगल और कोटेश्वर जैसे इलाकों में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कर्फ्यू लागू कर दिया है. सड़कों पर सेना और पुलिस की भारी तैनाती की गई है. जबकि प्रदर्शनकारियों ने आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया. यह सवाल अब उठने लगा है कि क्या नेपाल बांग्लादेश की तरह किसी बड़े तख्तापलट की ओर बढ़ रहा है?

तिनकुने में भड़की हिंसा

काठमांडू के तिनकुने इलाके में राजशाही समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर जमकर हंगामा मचाया. प्रदर्शनकारियों ने न केवल सुरक्षा बलों पर पथराव किया बल्कि एक व्यक्ति के घर में आग भी लगा दी. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया. इसके बावजूद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने टीवी स्टेशन और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत समाजवादी) के कार्यालय पर हमला बोल दिया. पुलिस ने घोषणा की ‘कर्फ्यू आदेश जारी कर दिया गया है. आपसे अनुरोध है कि आप जल्द से जल्द इस इलाके से बाहर निकल जाएं.’

राजशाही और हिंदू राष्ट्र की मांग

नेपाल में 2008 में राजशाही के खात्मे और धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र की स्थापना के बाद से ही एक तबका लगातार हिंदू राष्ट्र और राजशाही की बहाली की मांग करता रहा है. मौजूदा सरकार के खिलाफ बढ़ते असंतोष, आर्थिक संकट और भ्रष्टाचार के आरोपों ने इस मांग को और हवा दी है. प्रदर्शनकारी पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को सत्ता सौंपने की वकालत कर रहे हैं. उनका मानना है कि वर्तमान गणतंत्र व्यवस्था जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी.

क्या नेपाल में तख्तापलट का खतरा?

हाल की घटनाएं बांग्लादेश में हुए उथल-पुथल की याद दिलाती हैं. जहां हिंसक प्रदर्शनों ने सरकार को अस्थिर कर दिया था. काठमांडू की सड़कों पर आगजनी और हिंसा की तस्वीरों ने इस आशंका को बल दिया है कि नेपाल भी किसी बड़े राजनीतिक बदलाव की ओर बढ़ सकता है. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे कुछ समूहों ने ‘राजा वापस लाओ’ और ‘हिंदू राष्ट्र बहाल करो’ के नारे बुलंद किए हैं जिससे तनाव और गहरा गया है.

सरकार और सेना का रुख

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने हालात पर काबू पाने के लिए सेना को अलर्ट पर रखा है. काठमांडू में प्रमुख स्थानों पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है. हालांकि सरकार ने अभी तक प्रदर्शनकारियों की मांगों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. दूसरी ओर विपक्षी दलों ने हिंसा की निंदा करते हुए सरकार से संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की है.

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