नई दिल्ली: आज के समय में दुनिया भर में करेंसी का इस्तेमाल कर लेनदेन होता है, वहीं आज भी एक ऐसा स्थान है जहां सामान खरीदने और बेचने के लिए पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है.
हजारों साल पहले करेंसी नहीं हुआ करती थी उस समय “बार्टर सिस्टम” चला करता था. बार्टर सिस्टम का मतलब यह है कि किसी व्यक्ति को कुछ सामान चाहिए तो उसके बदले कोई सामान देना होता है, लेकिन वक्त के साथ पहले रत्न, फिर सिक्के और धीरे-धीरे करेंसी का चलन शुरू हुआ. हालांकि, आज भी दुनिया में एक ऐसा स्थान है जहां लेन-देन के लिए नोटों का इस्तेमाल नहीं बल्कि सामान खरीदने के लिए मुद्रा के रूप में पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है.
जिस स्थान की हम बात कर रहे है वो प्रशांत महासागर से घिरा यप द्वीप है. इस द्वीप में करीब 12 हजार लोग रहते हैं. ये लोग लेन-देन के लिए मुद्रा का इस्तेमाल नहीं बल्कि सामान खरीदने के लिए पत्थरों का इस्तेमाल करते है. यहां जिस व्यक्ति के पास जितना भारी पत्थर हो उसे उतना अमीर माना जाता है. खास बात यह है कि इन पत्थरों के बीच में एक छेद होता है जिसका प्रयोग इधर से उधर ले जाने में किया जाता है.
यहां लोगों को अगर कोई बड़ी डील करनी हो तो भी ये लोग पत्थरों का इस्तेमाल करते हैं. वहीं कुछ पत्थर इतने भारी भरकम होते हैं कि उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान नहीं ले जाया जा सकता है. जिस कारण से ये लोग वहीं उस पत्थर को रहने देते हैं. हालांकि, इस पत्थर पर तराशकर उनके बीच छेद कर दिया जाता और उसके बाद ऊपर सतह पर गांव समेत मालिक का नाम लिख देते हैं ताकि पहचान हो सके.
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