नई दिल्ली : आईटी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में से एक इंफोसिस इन दिनों चर्चाओं में है. कंपनी पर अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों से भेदभाव करने का आरोप लगाया गया है. दरअसल मामला बीते साल का है जब एक भारतीय मूल की एक महिला ने कंपनी पर भर्ती के दौरान भेदभाव का आरोप […]
नई दिल्ली : आईटी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में से एक इंफोसिस इन दिनों चर्चाओं में है. कंपनी पर अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों से भेदभाव करने का आरोप लगाया गया है. दरअसल मामला बीते साल का है जब एक भारतीय मूल की एक महिला ने कंपनी पर भर्ती के दौरान भेदभाव का आरोप लगाया था.
हालांकि, यह कर्मचारी अभी भी इंफोसिस में काम नहीं कर रही है. लेकिन इस पूर्व कर्मचारी ने कंपनी पर आरोप लगाया था कि भर्ती के दौरान कंपनी उम्र, लिंग और राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव कर रही है. मीडिया की मानें तो इंफोसिस के टैलेंट एक्यूजेशन की पूर्व वाइस प्रेसीडेंट जिल प्रेजीन ने आरोप लगाया था. आरोप में बताया गया कि उन्हें कंपनी की ओर से भर्ती के दौरान बच्चों वाली भारतीय मूल की महिलाओं और 50 साल की उम्र से ऊपर के उम्मीदवारों को भर्ती प्रक्रिया के दौरान नजरअंदाज करें. यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में आरोप लगाने वाली जिल प्रेजीन ने इस बात को स्वीकार किया है. इस मामले में मिस प्रेजीन ने कंपनी के खिलाफ एक मुकदमा भी किया है.
प्रेजीन कोर्ट में बताती हैं कि “मैं कंपनी की ओर से मिले लिंग, उम्र और राष्ट्रियता के आधार पर भेदभाव करने की सलाह को सुनकर हैरान ही रह गई थी. उन्होंने कोर्ट में बताया था कि साल 2018 में जब उन्होंने इस कंपनी को ज्वाइन करने किया तो शुरुआती दो महीनों में उन्होंने इस कल्चर को बदलने का प्रयास भी किया था. लेकिन इसके बदले में उन्हें कर्मचारियों की नारजगी का सामना करना पड़ा था.
इस मामले को लेकर इंफोसिस ने कोर्ट में एक प्रस्ताव दायर किया है. जिसमें इस मुक़दमे को खारिज करने की मांग की गई है. इंफोसिस ने कोर्ट को बताया कि मिस प्रेजीन को कंपनी के नियमों के तहत काम नहीं किया था इसलिए उन्हें हटा दिया गया था. इंफोसिस ने इस पूरे मुकदमे को इस आधार पर खारिज करने की मांग की है.
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