नई दिल्ली: ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव युद्ध के स्तर तक पहुँच गया है। अमेरिका ने चीन को यह साफ संदेश दे दिया है कि वह ताइवान की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से अमेरिका और चीन […]
नई दिल्ली: ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव युद्ध के स्तर तक पहुँच गया है। अमेरिका ने चीन को यह साफ संदेश दे दिया है कि वह ताइवान की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से अमेरिका और चीन के बीच तनाव जारी है। इसी बीच आधिकारिक केंद्रीय समाचार एजेंसी के मुताबिक, ताइवान के रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान और विकास इकाई के उप प्रमुख शनिवार की सुबह एक होटल के कमरे में मृत पाए गए। सीएनए के अनुसार, सैन्य स्वामित्व वाले ओ यांग ली-हिंग नेशनल चुंग-शान इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के उप प्रमुख थे। रिपोर्ट की मानें तो मौत के कारणों की जांच पड़ताल जारी है।
खबरों के अनुसार, ताइवान रक्षा मंत्रालय की रिसर्च और डेवलपमेंट यूनिट के डिप्टी हेड ओ यांग ली-हिंग शनिवार की सुबह एक होटल के कमरे में मृत पाए गए थे। साथ ही खबरे आ रही है कि अधिकारी की संभवतः दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हुई है। होटल के कमरे में ‘घुसपैठ’ का कोई संकेत नजर नहीं आया। उनके परिवार के अनुसार, उन्हें हृदय रोग और कार्डियक स्टेंट की मेडिकल प्रॉब्लम रही है ।
जेरूसलम पोस्ट के अनुसार, ताइवान में हथियारों का विकास और निर्माण करने वाली एक सरकारी कंपनी NCSIST वर्तमान में देश के दक्षिण में जियुपेंग सैन्य अड्डे पर मिसाइल परीक्षण कर रही है।
समाचार एजेंसी ने कहा कि ओ यांग पिंगटुंग के दक्षिणी काउंटी की व्यावसायिक यात्रा पर थे। चीन के बढ़ते सैन्य खतरे के जवाब में, द्वीप इस साल अपनी मिसाइल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है क्योंकि यह द्वीप चीन के बढ़ते सैन्य खतरे का सामना कर सकता है इसलिए ताइवान अपनी युद्ध शक्ति को बढ़ा रहा है।
मिसाइल डेवलपमेंट टीम के अधिकारी की मौत ऐसे समय में हुई है जब चीन हर तरफ से ताइवान की घेराबंदी कर रहा है। नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से पहले चीन की ओर से कड़ी चेतावनी दी गई थी कि वह वन चाइना पालिसी को लेकर बेहद संवेदनशील है और इसे कायम रखने के लिए हर कोशिश करेगा। बता दें कि यूएस हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी दो अगस्त को ताइवान दौरे पर पहुंची थी। पेलोसी के ताइवान पहुंचने से पहले ही उसकी सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया था।
आपको बता दें कि चीन और ताइवान के बीच की दुश्मनी बहुत पुरानी है। इसकी शुरूआत ताइवान के अस्तित्व के साथ हुई। विवाद की मुख्य वजह दोनों देशों का एक-दूसरे पर दावा है। इस विवाद में चीन का पलड़ा भारी नजर आता है। बावजूद ताइवान को अमेरिकी समर्थन की वजह से ड्रैगन अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाता। बुधवार को अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा ने ड्रैगन को एक बार फिर भड़का दिया है। चीन लंबे समये से नैंसी को अपना दुश्मन मानता आ रहा है।