China Taiwan Conflict: ताइवान के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट हैक, चीनी हैकरों पर शक

China Taiwan Conflict: नई दिल्ली। अमेरिका संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन तिलमिला गया है। उसने ताइवान के ऊपर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए है। इसी बीच गुरूवार को ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उनकी वेबसाइट कुछ देर के लिए हैक हो गई थी। माना जा रहा […]

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China Taiwan Conflict: ताइवान के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट हैक, चीनी हैकरों पर शक

Vaibhav Mishra

  • August 4, 2022 11:32 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

China Taiwan Conflict:

नई दिल्ली। अमेरिका संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन तिलमिला गया है। उसने ताइवान के ऊपर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए है। इसी बीच गुरूवार को ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उनकी वेबसाइट कुछ देर के लिए हैक हो गई थी। माना जा रहा है कि चीन के हैकरों ने इस हैकिंग को अंजाम दिया है। हालांकि अभी इस बात की कोई पुष्टि नहीं हो पाई है।

साइबर सुरक्षा बढ़ाने पर काम जारी

बता दें कि चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद ताइवान अपने क्षेत्र के साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। इससे पहले भी इसी सप्ताह की शुरुआत में ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय सहित कई सरकारी वेबसाइटें साइबर हमलें का शिकार हुई थीं। ताइवानी अधिकारियों का मानना है कि ये वेबसाइट तीन और रूस के हैकर्स द्वारा हैक किए गए थे।

पेलोसी की यात्रा से तिलमिलाया चीन

गौरतलब है कि अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलेसी के ताइवान दौरे के बाद से ही चीन की तिलमिलाहट इतनी बढ़ गई है कि उसने ताइवान की सीमा पर घातक हथियारों की तैनाती शुरू कर दी है। चीन के विदेश मंत्री ने ताइवान और अमेरिका को टारगेट करते हुए कहा है कि बीजिंग को नाराज करने वालों की खैर नहीं हैं।

जो नाराज करेगा, उसे सजा मिलेगी

चीनी सरकारी मीडिया के मुताबिक विदेश मंत्री वांग यी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जो भी बीजिंग को नाराज करेगा, उसे सजा जरूर मिलेगी। स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ये एक पूरा तमाशा है। अमेरिका तथाकथित लोकतंत्र की आड़ में चीन की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है।

चीन-ताइवान के बीच विवाद क्या है?

ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है। ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान और लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार भी है। वहीं चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का महत्वपूर्ण हिस्सा बताती है। चीन इस द्वीप को एक बार फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते आए हैं।

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