राष्ट्रपति कोविंद की यात्रा को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, चीन ने कभी भी तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को स्वीकार नहीं किया है और सीमा विवाद को लेकर हमारी स्थिति मजबूत और साफ है.
बीजिंग. चीन और भारत के बीच रसाकसीं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. 76 दिनों तक चले डोकलाम विवाद के बाद ऐसा लगा था कि दोनों देशों के बीच सबकुछ सामान्य हो गया है. लेकिन चीन ने एक बार फिर से राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर आपत्ति जताकर दोनों देशों के बीच बुझती हुई आग में घी डालने का काम कर दिया है. बता दें कि चीन ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अरुणाचल प्रदेश यात्रा का कड़ा विरोध जताया है. चीन ने विरोध जताते हुए कहा कि भारत को ऐसे समय में सीमा विवाद को जटिल बनाने से बचना चाहिए जब द्विपक्षीय संबंध निर्णायक क्षण में हैं. वहीं भारत ने चीन की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और भारतीय नेता इस राज्य की यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं.
राष्ट्रपति कोविंद की अरुणाचल प्रदेश यात्रा के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने मीडिया से कहा कि चीनी सरकार ने कभी भी तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को स्वीकार नहीं किया और सीमा मुद्दे पर हमारी स्थिति दृढ़ और स्पष्ट है. चीन नियमित रूप से किसी भी भारतीय अधिकारी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा का विरोध करता आया है. बता दें कि चीन अरुणाचल को दक्षिण तिब्बत क्षेत्र का हिस्सा मानता है और वह पहले भी इस विवादित हिस्से पर भारतीय नेताओं की यात्रा का विरोध कर चुका है.
आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या किसी भी बड़े सरकारी अधिकारी की यात्रा का विरोध करना चीन की आदत बन गई है. इससे पहले चीन ने 6 नवम्बर को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अरुणाचल प्रदेश के सीमाई इलाकों का दौरा करने पर भी विरोध जताया था. हालांकि सीतारमण भारत-चीन सीमा पर भी गई थीं और वहां तैनात चीनी सैनिकों से भी मुलाकात की थी.
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