नई दिल्ली : विश्व के दो परमाणु संपन्न देश आमने-सामने हो सकते है. बीते सोमवार को सेन डिएगो में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के बीच परमाणु पनडुब्बी समझौता हुआ है जिसको लेकर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. इन तीनों देशों के बीच ऑकस परमाणु पनडुब्बी समझौता हुआ है. ये तीनों देश मिलकर उन्नत तकनीक से लैस पनडुब्बियों का नया बेड़ा बनाएगें.
तीनों देशों ने अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन मिलकर एशिया में चीन की बढ़ती ताकत को कमजोर करने के लिए ऑकस परमाणु समझौता किया है. ये पनडुब्बी आधुनिक तकनीक से लैस है. तीनों देशों चीन ने चेतावनी देते हुए कहा कि ये खतरनाक रास्ते पर आगे बढ़ने जैसा है. चीन के अधिकारियों ने कहा कि ये तीनों देश हथियारों की प्रतिस्पर्धा को बढ़ा रहे है.
चीन हमेशा अमेरिका का विरोध करता रहता है. अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने जब ताइवन का दौरा किया था तो चीन ने नैंसी के दौरे का विरोध कर रहा था. ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है लेकिन ताइवन अपने को अलग देश बताता है. आपको बता दें कि चीन के पास विश्व की सबसे बड़ी थल और जल सेना भी है. चीन का कहना है कि पश्चिमी देश मिलकर मेरा दायरा सीमित करना चाह रहे है.
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस साल के बजट में सैन्य बजट में बढ़ोत्तरी की है. चीन ने माना कि आने वाले समय में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता का विषय होगा. इसी बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने एक बयान दिया था और कहा था कि आने वाला समय मुश्किलों भरा हो सकता है. आने वाला समय खतरनाक हो सकता हैउसके लिए हमें तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए.
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