नई दिल्ली : कोरोना की मार झेल रहा चीन अब एक और संकट से गुजरने जा रहा है. चीन में फैली कोरोना की दहशत के बीच पड़ोसी मुल्क के लिए एक और बुरी खबर सामने आई है. देश की आर्थिक विकास दर यानी China Economic Growth Rate ने आंकड़े जारी किए हैं. आंकड़ों में चीन […]
नई दिल्ली : कोरोना की मार झेल रहा चीन अब एक और संकट से गुजरने जा रहा है. चीन में फैली कोरोना की दहशत के बीच पड़ोसी मुल्क के लिए एक और बुरी खबर सामने आई है. देश की आर्थिक विकास दर यानी China Economic Growth Rate ने आंकड़े जारी किए हैं. आंकड़ों में चीन की बीते साल यानी 2022 में इकोनॉमिक ग्रोथ रेट 3 फीसदी रही है. यह बीते 40 सालों में सबसे कम रेट है जिसने चीन की चिंता दोहरी कर दी है.
गौरतलब है कि चीन की अर्थव्यवस्था दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था मानी जाती है. लेकिन कोरोना वायरस का प्रकोप देश की जनता का पीछा छोड़ ही नहीं रहा है. बता दें, चीन के वुहान से ही कोरोना का पहला केस सामने आया था. इसके बाद वायरस से निपटने के लिए लगाई गईं पाबंदियों ने साल 2022 में देश की आर्थिक स्थिति को और खराब करने का काम किया.
साल 2022 में देश में कोरोना पर काबू पाने के लिए और रियल एस्टेट सेक्टर पर मंदी की वजह से देश की इकोनॉमिक ग्रोथ 3 फीसदी की दर से हुई. चार दशक में यह सबसे कमजोर आंकड़ा दर्ज़ किया गया है. इन आंकड़ों को सरकार की ओर से जारी किया गया है.
चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स ने इन आंकड़ों को जारी किया है. आंकड़ों को देखें तो बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में विकास दर 2.9 फीसदी रही. जबकि इससे पहले यह दर तीसरी तिमाही में 3.9 फीसदी थी. साल 2022 के लिए चीन ने करीब 5.5 फीसदी की विकास दर का लक्ष्य निर्धारित किया था. लेकिन जीरो-कोविड नीति ने इसे कमजोर कर दिया है, विनिर्माण गतिविधि और खपत पर पूरी तरह से ब्रेक लगा दिए गए जिस कारण आज देश की विकास दर इतनी गिर गई है.
हैरानी की बात ये है कि भारत की साल 2022 में जीडीपी की अनुमानित दर 7 फीसदी रही. चीन की तुलना में यह दर आधे से भी अधिक है. विश्व बैंक (World Bank) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पूर्वानुमान की मानें तो यह दर 6.9 फीसद तय की गई है. वहीं साल 2022 में चीन का सकल घरेलू अनुपात 1,21,020 अरब युआन या 17,940 अरब डॉलर रही.
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