नई दिल्ली. ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद उनके बेटे चार्ल्स तृतीय को ब्रिटेन का नया राजा घोषित किया गया है. इसके साथ ही उनकी पत्नी कैमिला पार्कर को क्वीन कन्सॉर्ट की उपाधि दी गई है, बता दें कैमिला पार्कर को यह पदवी यूं ही नहीं मिली है. ये उपाधि मिलने की वजह है उनका प्रिंस चार्ल्स की पत्नी होना. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या ‘क्वीन कन्सॉर्ट’ की उपाधि पाने के बाद कैमिला को महारानी जैसे अधिकार और शक्तियां मिल जाएंगी ? जानिए, क्वीन कन्सॉर्ट पद मिलने पर शाही परिवार के क्या नियम हैं और क्या है इसके मायने ?
‘क्वीन कन्सॉर्ट’ पद उस महिला को दिया जाता है जो शाही परिवार के उत्तराधिकारी की पत्नी होती है, जबकि महारानी का पद रिज़र्व रखा जाता है, और महारानी का पद सिर्फ उसे मिलता है जो शाही परिवार की पीढ़ी से ताल्लुक रखती है. आसान भाषा में समझें तो शाही परिवार में जन्मी लड़की को यह पद दिया जाता है. जिसकी रैंक, जिम्मेदारी और पावर राजा के बराबर होगी.
इसमें ध्यान रखने वाली बात है कि कैमिला को क्वीन कन्सॉर्ट का पद मिला है ‘क्वीन’ का नहीं, यानी उन्हें महरानी की पदवी नहीं दी गई है. शाही परिवार का नियम कहता है कि सिंहासन पर बैठने का अधिकार उसी को मिलता है जिसकी रगों में शाही परिवार का खून हो इसलिए कैमिला पति चार्ल्स के साथ मिलकर उनका हाथ बंटाने में मदद जरूर करेंगी, लेकिन उन्हें कभी भी महारानी का दर्जा नहीं दिया जाएगा.
ये भी बता दें कि किसी क्वीन कन्सॉर्ट को सरकार में कोई पद नहीं दिया जाता और न ही उनके पास सरकारी दस्तावेजों को देखने और उस पर दस्तखत करने की पावर होती है. ब्रिटिश साम्राज्य को संभालने में मदद करना ही क्वीन कन्सॉर्ट का सबसे बड़ा काम होता है. बेशक यह पद पाने के बाद कैमिला को कुछ अन्य पद भी मिले हैं, जैसे- वो अब 90 से अधिक चैरिटी संस्थाओं की प्रेसिडेंट हो गई हैं.
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