भारत को न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) का सदस्य बनने के लिए ब्रिटेन से बिना शर्त समर्थन मिला है. भारतीय विदेश मंत्रालय और ब्रिटेन के फॉरेन एंड कॉमनवेल्थ ऑफिस की बातचीत के बाद सामने आया कि ब्रिटेन को भारत के न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की एंट्री से परेशानी नहीं है. चीन भारत के इस ग्रुप में शामिल करने के मामले पर विरोध जताता रहा है.
नई दिल्ली. ब्रिटेन ने भारत को न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) का सदस्य बनाने के लिए ‘बिना शर्त’ समर्थन की बात फिर दोहराई है. ब्रिटेन ने कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय न्यूक्लियर व्यापार की जवाबदेही वाले ग्रुप में एंट्री की पूरी योग्यता रखता है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्रालय और ब्रिटेन के फॉरेन एंड कॉमनवेल्थ ऑफिस के अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद कुछ राजनयिक सूत्रों ने इसकी जानकारी दी.
राजनयिक सूत्रों ने कहा कि ब्रिटेन भारत को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार चलने वाली व्यवस्था का मुख्य सदस्य और संरक्षक मानता है. भारत को एनएसजी का सदस्य बनाए जाने का चीन विरोध कर रहा है. चीन के विरोध के बावजूद भारत अपनी दावेदारी के लिए नए सिरे से आवाज उठा रहा है. हाल ही में अमेरिका के साथ हुए 2+2 डायलॉग में अमेरिका ने भी भारत को इस एनएसजी का सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया था.
ब्रिटेन के साथ भारतीय विदेश मंत्रालय की बैठक के बाद एक राजनयिक ने कहा कि भारत एनसजी सदस्यता पाने का वाजिब हकदार है. हमारा मानना है कि भारत को इस ग्रुप का सदस्य बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि चीन के लोग ही बता सकते हैं कि उन्हें भारत की सदस्यता से आखिर क्या परेशानी है. इस बैठक के दौरान भारत ने परमाणु अप्रसार के बारे में पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच संपर्क का मामला भी उठाया. चीन के विरोध के चलते माना जा रहा है कि इस ग्रुप का सदस्य बन जाने से भारत की शक्ति काफी बढ़ जाएगी. ऐसे में चीन भारत को इस ग्रुप का सदस्य बनाए जाने का विरोध कर रहा है.
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