नई दिल्ली, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अब अपनी पार्टी द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव तो जीत गए हैं लेकिन उनके खिलाफ उन्हीं की सत्तारूढ़ पार्टी कंज़र्वेटिव पार्टी के भीतर बगावती सुर बढ़ गए हैं. उनकी इस जीत ने उनकी गद्दी तो बचा ली है मगर अब पीएम बोरिस की सत्ता पर पकड़ कमजोर होती दिखाई दे रही है.
ब्रिटेन पीएम बोरिस जॉनसन भले ही अविश्वास प्रस्ताव पर अपना मत साबित कर चुके हैं लेकिन यह भी उनके लिए खतरे के संकेत हैं. जहां जॉनसन के आलोचकों की संख्या अब बढ़ती नज़र आ रही है. राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि बोरिस के खिलाफ उन्हीं की पार्टी ने बगावती सुर पकड़ लिए हैं. भले ही बहुमत उनके साथ है पर सत्तारूढ़ पार्टी में ही पीएम को लेकर नाराज़गी और उनसे असहमति ब्रिटेन पीएम की राह में बड़ी मुसीबत भी बन सकती है. प्रधानमंत्री बने रहने वाले जॉनसन की पकड़ इस दौरान कमजोर होती दिखाई दे रही है.
अविश्वास प्रस्ताव में जॉनसन के पक्ष में 211 वोट पड़े, जबकि 148 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट दिया। इसके चलते बोरिस जॉनसन की कुर्सी बच गई और वे प्रधानमंत्री बने रहेंगे। बता दें कि ब्रिटिश पीएम को सत्ता में बने रहने के लिए 180 वोटों की आवश्यकता थी। प्रधानमंत्री के खिलाफ 54 सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। कंजरवेटिव पार्टी के 359 सांसद हैं। इनमें से 15 फ़ीसदी सांसद यानी 54 MP ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से नाराज थे। प्रधानमंत्री से नाराज चल रहे नेताओं में से सबसे आगे ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री जेरेमी हंट का नाम है। हालांकि वोटिंग शुरू होने से पहले कंजरवेटिव पार्टी के कई सांसदों ने जॉनसन को अपना समर्थन दे दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि जॉनसन ये वोटिंग जीत जाएंगे।
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोरोना की लहर के बीच नियमों का उल्लंघन किया था. जहां प्रधानमंत्री कार्यालय के उद्यान में 20 मई 2020 को पार्टी आयोजित की गई थी. यह पार्टी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के 56वें जन्मदिन की ख़ुशी में आयोजित की गई थी. इसके अलावा एक और पार्टी का आयोजन 19 जून 2020 को 10 डाउनिंग स्ट्रीट के परिसर में आयोजित की गई थी. इस दौरान ब्रिटेन में कोरोना प्रोटोकॉल में कड़ाई की गई थी जिसे प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने तोड़ते हुए बाहर के लोगों को घर पर आमंत्रित किया था. इस मामले ने ब्रिटेन की राजनीति में काफी तूल पकड़ी. जिसे लेकर मौजूदा सत्तासीन कंज़र्वेटिव पार्टी के अंदर और बाहर खलबली मच गई. बहरहाल पीएम जॉनसन ने अपनी इस भूल के लिए माफ़ी भी मांगी थी. पर यह मामला ठंडा नहीं हुआ. कई सांसद उनके इस्तीफे को लेकर दबाव बनाने लगे.
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