Arundhati Roy on Mob Lynching: बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने लंदन के नूर इनायत खान स्मारक में कहा कि भारत में भीड़तंत्र के बढ़ते प्रभाव को लेकर डर का माहौल पैदा हो गया है. यह देश में 'अभिव्यक्ति की आजादी' के लिए एक बड़ा खतरा है.
लंदन: Arundhati Roy on Mob Lynching: बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने भारत में मॉब लिंचिंग के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि भारत में भीड़तंत्र के बढ़ते प्रभाव को लेकर डर का एक माहौल पैदा हो गया है. ऐसा भीड़तंत्र देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बड़ा खतरा है. अरुंधति रॉय को साल 1997 में अपने पहले उपन्यास ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए बुकर पुरस्कार सम्मान से नवाजा गया था. उनके लेखन को लेकर कोर्ट में भी मामला गया था.
अरुंधति रॉय शनिवार को एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए लंदन स्थित नूर इनायत खान स्मारक पहुंची थीं. कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘भारत में अब लगाम कसने का काम भीड़ के जिम्मे कर दिया गया है. हमारे यहां इस तरह के कई समूह हैं जो अपने ढंग से अपनी पहचान पेश करते हैं, अपना प्रवक्ता नियुक्त करते हैं, अपना झूठा इतिहास तय करते हैंऔर उसे गढ़ते हैं और फिर सिनेमाघरों में आगजनी, लोगों पर हमला करना, किताबें जलाना और लोगों को मारना शुरू कर देते हैं.’
दिल्ली की मूल निवासी लेखिका अरुंधति रॉय ने आगे कहा कि कला और साहित्य के अन्य रूपों पर भीड़तंत्र की हिंसा और हमले कोर्ट के मामलों से ज्यादा भयानक हैं. वह इन सभी से गुजर चुकी हैं. बताते चलें कि नूर इनायत खान (लंदन में जिनके नाम पर स्मारक बनाया गया है) द्वितीय विश्व युद्ध में एक अहम किरदार थीं. लेखिका अरुंधति रॉय अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जानी जाती हैं. प्रतिष्ठित बुकर अवॉर्ड से नवाजी जा चुकीं लेखिका अरुंधति रॉय के खिलाफ उनके लेखन को लेकर कोर्ट में केस फाइल किया गया था.