नई दिल्ली: रूस का पड़ोसी देश फिनलैंड आधिकारिक तौर पर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का सदस्य बन गया हैं. नाटो के प्रमुख जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने मंगलवार (3 अप्रैल) को इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि फिनलैंड मंगलवार को इस सैन्य गठबंधन का 31वां सदस्य बनेगा. इस खबर को रूस के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि फिनलैंड रूस की सीमा से लगने वाला देश है.
ब्रसेल्स में नाटो के विदेश मंत्रियों की बैठ की पूर्वसंध्या पर स्टोल्टेनबर्ग ने इसे एक ऐतिहासिक सप्ताह बताया. बुधवार यानी कल अब फिनलैंड नाटो का पूर्ण सदस्य बन जाएगा. आगे उन्होंने उम्मीद जताई है कि अगले कुछ महीनों में स्वीडन भी नाटो में शामिल हो जाएगा. उन्होंने बताया कि पहली बार नाटो हेडक्वार्टर में फिनलैंड का झंडा फहराया जाएगा. वह कहते हैं, कल नाटो हेडक्वार्टर में फिनलैंड की सुरक्षा और नाटो दोनों के लिए बेहतरीन दिन होगा.
स्टोल्टेनबर्ग ने आगे बताया कि ब्रसेल्स में नाटो के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होगी. तुर्की अपने आधिकारिक दस्तावेज अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को सौंपेगा जो फिनलैंड की सदस्यता का समर्थन करने वाला आखिरी देश है. इसके बाद फ़िनलैंड को भी ऐसा करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा. साथ ही उन्होंने बताया कि ध्वजारोहण समारोह नाटो के मुख्यालय में आयोजित किया जाएगा.
गौरतलब है कि फिनलैंड ने स्वीडन के साथ यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद नाटो में शामिल होने का आवेदन दिया था. हालांकि तुर्की ने फिनलैंड की सदस्यता पर वीटो कर दिया था लेकिन बाद में उसने फिनलैंड की सदस्यता को मंजूरी दे दी थी. दरअसल तुर्की का कहना था कि फिनलैंड और स्वीडन दोनों ही अपने देश के अंदर सक्रिय आतंकी समूहों को मदद देते हैं. हालांकि दोनों देशों ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था. फिनलैंड की सीमा क्योंकि रूस से सटी हुई है तो रूस उत्तर की ओर से भी नाटो से घिर गया है .
आपको बता दें, रूस ये समझता है कि अगर उसका कोई पड़ोसी देश NATO में शामिल हुआ तो NATO देशों के सैनिक उसपर आक्रमण कर देंगे. दरअसल सोवियत संघ ने 1939 से 1945 के बीच दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पूर्वी यूरोप के इलाकों से सेनाएं हटाने से इनकार कर दिया था. 1948 में बर्लिन को घेर लिया गया था और अमेरिका ने सोवियत संघ की विस्तारवादी नीति को रोकने के लिए NATO की शुरुआत की थी जिसमें उस समय 12 सदस्य थे. इसमें अमेरिका को छोड़कर वा ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, इटली, नीदरलैंड, आइसलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, नॉर्वे, पुर्तगाल और डेनमार्क थे जिनकी संख्या आज बढ़कर 30 हो गई है.
ऐसा कहा जाता है कि पुतिन NATO से चिढ़ते हैं. क्योंकि रूस की सीमा से सटे इस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और तुर्की NATO के सदस्य हैं. ऐसे में यदि यूक्रेन भी NATO से जुड़ा तो वह पूरी तरफ से नाटो सदस्यों से घिर जाएगा. पुतिन का तर्क है कि यदि यूक्रेन नाटो का सदस्य बना तो मिनटों में उसे मिसाइलें मिल जाएंगी. हालांकि अब ये जानना दिलचस्प होगा कि फिनलैंड के नाटो में शामिल होने पर पुतिन की क्या प्रतिक्रिया होगी क्योंकि फिनलैंड की 1300 किमी लंबी सीमा रूस से लगती है.
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