नई दिल्ली : भारत से सटा द्वीपीय देश श्रीलंका इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है. जाहिर है इसका असर भारत पर भी पड़ने वाला है. बता दें, श्रीलंका की ही राह पर भारत का एक और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी हो लिया है. पाकिस्तान में भी आर्थिक संकट की शुरुआत हो […]
नई दिल्ली : भारत से सटा द्वीपीय देश श्रीलंका इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है. जाहिर है इसका असर भारत पर भी पड़ने वाला है. बता दें, श्रीलंका की ही राह पर भारत का एक और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी हो लिया है. पाकिस्तान में भी आर्थिक संकट की शुरुआत हो चुकी है. बिजली से लेकर खाने पीने की सभी चीज़ों पर महंगाई की मार देखने को मिल रही है. अब सवाल ये है कि श्रीलंका की ही तरह अगर पाकिस्तान भी आर्थिक संकट में फंस जाता है तो इससे भारत को क्या मुनाफा या नुकसान होगा? आइए इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं.
बता दें, श्रीलंका में आर्थिक संकट के साथ-साथ राजनीति भी गरमा गई है. आर्थिक संकट से लड़ने में फेल हुई सरकार पर जनता अपना आक्रोश बरसा रही है. इस बीच शनिवार को कई बड़े बदलाव श्रीलंका के शासन में देखने को मिले. जहां आर्थिक संकट से त्राहि-त्राहि करती जनता ने पहले ही राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से इस्तीफे की मांग कर दी थी वहीं ये नाराज़ जनता सड़कों पर प्रदर्शन करने उतर पड़ी.
इस बीच ये प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि प्रदर्शनकारियों ने राजधानी कोलंबो स्थित राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया. इस बीच राष्ट्रपति राजपक्षे को सही सलामत बाहर निकाल लिया गया. बाद में आपात बैठक में श्रीलंका सरकार में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. आगामी 13 जुलाई को श्रीलंका के राष्ट्रपति भी अपना इस्तीफ़ा सौप देंगे. बीती रात श्रीलंका की नाराज़ जनता ने इस्तीफ़ा दे चुके पीएम के घर पर भी आगजनी की घटना को अंजाम दिया. आप इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि वहां की जनता किस कदर परेशान है.
पाकिस्तान की बात करें तो जल्द ही भारत का एक और पडोसी मुल्क भी आर्थिक संकट से घिर जाएगा. इस संकट के शुरूआती लक्षण देखने को मिल रहे हैं. बता दें,इस साल पकिस्तान की सत्ता में भी बड़ा बदलाव आया है. जहां हाल ही में पूर्व पीएम इमरान खान की सरकार को विपक्ष ने अपने अविश्वास प्रस्ताव से गिरा दिया और नई सरकार के साथ शाहबाज़ शरीफ नए प्रधानमंत्री बनें. लेकिन ये पाक की आवाम की समस्याओं का अंत नहीं था. वहाँ अभी भी महंगाई अपने चरम पर है. पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भण्डार लगातार गिर रहा है.
विदेशी मुद्रा भंडार 980 करोड़ डॉलर ही रह गया है जबकि 24 जून को यह 1000 करोड़ डॉलर से अधिक था. इस बीच करीब 49 करोड़ डॉलर की कमी आई है. पाकिस्तान भी इस समय बाहरी ऋण और अन्य भुगतान को लेकर घिर चुका है. पिछले दिनों वहाँ के एक मंत्री ने विदेशी मुद्रा का चाय पर होने वाले व्यय को रोकने के लिए लोगों से चाय कम पीने की अपील की थी. इतना ही नहीं दिन के 16 घंटे बिजली की कटौती की जा रही है. ये सभी लक्षण हैं कि पाकिस्तान भी जल्द ही दीवालिया होने वाला है.
अब भारत को इस आर्थिक संकट में क्या लाभ होगा और क्या हानि इसपर विचार करने का प्रयास करते हैं. भले ही पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते कुछ ज़्यादा अच्छे ना रहे हों लेकिन अगर पाकिस्तान बर्बाद होता है तो इसका नकारात्मक असर भारत पर भी पड़ता है. आज अगर श्रीलंका की बात करें तो चीन का उसकी बर्बादी में अहम रोल है. ऐसा इसलिए क्योंकि चीन एक ऐसा देश बन चुका है जो पूरे विश्व को भारी क़र्ज़ दे रहा है. ऐसा वह पाकिस्तान के साथ भी कर रहा है. अगर पाकिस्तान की मदद के लिए चीन आगे बढ़ता है तो वह इसके बदले पाकिस्तान ग्वादर बंदरगाह की तरह एक नौसेना बेस का सौदा कर सकता है. जिस वजह से भारत के दुश्मन चीन नेवी के जरिए और भी करीब आ जाएंगे. देश की सुरक्षा में ये एक अच्छा कदम नहीं होगा.
महाराष्ट्र: पूछताछ के लिए ईडी कार्यालय पहुंचे संजय राउत, कहा- जिंदगी में कभी गलत काम नहीं किया