नई दिल्ली: शुक्रवार को बेलारूस की एक अदालत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं 2022 में नोबेल शांति पुरस्कार की विजेता एलेस बियालियात्स्की को 10 साल कैद की सजा सुनाई. बता दें, वियास्ना ने यह जानकारी साझा की है जिसके मानवाधिकार केंद्र के संस्थापक एलेस (60) और इसके तीन अन्य शीर्ष अधिकारियों को सजा सुनाई गई है. यह सजा लोक व्यवस्था बिगाड़ने वाली गतिविधियों का वित्तपोषण करने और तस्करी का दोषी करार देते हुए सुनाई गई है. तीनो दोषियों को अलग-अलग अवधि की सजा सुनाई गई है.
दरअसल साल 2020 के चुनाव को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध हुआ. इसी विरोध प्रदर्शन के दौरान एलेस और उनके दो सहयोगियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. बता दें, इन चुनावों में राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको को एक नया कार्यकाल मिला था. गौरतलब है कि ये देश के इतिहास में हुआ सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन था. वर्ष 1994 से बेलारूस पर शासन कर रहे लुकाशेंको ने इस प्रदर्शन को कुचलने के लिए बड़ी कार्रवाई की थी. इस दौरान देश भर में 35,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया था। अब इसी कड़ी में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता एलेस बियालियात्स्की को 10 साल की सजा सुनाई गई है.
दरअसल बियालियात्स्की ने युद्ध अपराधों, मानवाधिकारों के हनन और सत्ता के दुरुपयोग के दस्तावेजीकरण के लिए बेहतरीन काम किया है. उनका काम लोकतंत्र और शांति के लिए नागरिक समाज के महत्व को प्रदर्शित करता है. 25 सितम्बर 1962 में उनका जन्म रूस में हुआ था. उनका नाम 80 के दशक के मध्य में बेलारूस में उभरे लोकतान्त्रिक आंदोलन की शुरआत करने वालों में लिया जाता है. उन्होंने पूरा जीवन देश के लिए समर्पति कर दिया.
साथ ही उन्होने 1996 में विवादास्पद संवैधानिक संशोधनों के जवाब में विआसना (स्प्रिंग) नामक संगठन की स्थापना की थी. इस संगठन ने जेल में बंद कैदियों और उनके परिवारों की खूब सहायता भी की थी. बता दें, बियालियात्स्की 2011 से 2014 तक जेल में भी रह चुके हैं. साल 2020 में शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद, उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया था. और आज उन्हें सजा सुनाई गई है.
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