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खाने के लिए मांग रहे भीख और सैलरी बांट रहा भर भरकर, कंगाल पाकिस्तान ने 188% बढ़ाया मंत्रियों का वेतन

महंगाई और कर्ज की दलदल में फंसे पाकिस्तान में आम लोग दो वक्त की रोटी खाने के लिए तरस रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ वहां की शहबाज सरकार ने अपने मंत्रियों और अधिकारियों के वेतन में बड़ी बढ़ोतरी कर दी है।

Pakistan
  • March 22, 2025 8:23 am Asia/KolkataIST, Updated 2 days ago

नई दिल्ली। महंगाई और कर्ज की दलदल में फंसे पाकिस्तान में आम लोग दो वक्त की रोटी खाने के लिए तरस रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ वहां की शहबाज सरकार ने अपने मंत्रियों और अधिकारियों के वेतन में बड़ी बढ़ोतरी कर दी है। हाल ही में पाकिस्तान कैबिनेट ने मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और सलाहकारों के वेतन में 188% तक की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। इसके बाद से अब उनका मासिक वेतन 5,19,000 पाकिस्तानी रुपये हो गया है। यह फैसला ऐसे समय में किया गया है, जब पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF से कर्ज की दूसरी किस्त मिली है।

दिवालिया होने वाला है पाकिस्तान

पाकिस्तान पिछले कुछ सालों से आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश की अर्थव्यवस्था दिवालिया होने की कगार पर है, महंगाई दर आसमान छू रही है और विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है। इन सबके बीच हाल ही में IMF ने पाकिस्तान को अपने 7 बिलियन डॉलर के कर्ज पैकेज की दूसरी किस्त के तौर पर 1 बिलियन डॉलर दिए हैं। लेकिन इस फंडिंग के बाद पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकता आम जनता को राहत पहुंचाना नहीं बल्कि अपने नेताओं और मंत्रियों की वेतन में बढ़ोतरी करना है।

अब इतनी मिलेगी सैलरी

शुक्रवार को पाकिस्तान की कैबिनेट ने अपने मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और सलाहकारों की सैलरी में 188 फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद उनकी सैलरी 5,19,000 रुपये प्रति महीने हो जाएगी। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है, जब पाकिस्तान में लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं और बुनियादी जरूरतों को पूरा करना भी मुश्किल हो गया है। खाने-पीने की चीजों से लेकर पेट्रोल और बिजली के दाम आसमान छू रहे हैं लेकिन सरकार अपने मंत्रियों पर मेहरबान है।

सांसदों की सैलरी भी बढ़ाई

यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान सरकार ने अपने अधिकारियों की सैलरी में बढ़ोतरी की है। अभी दो महीने पहले ही नेशनल असेंबली की वित्त समिति ने सांसदों और सीनेटरों के वेतन और भत्ते को संघीय सचिवों के वेतन के बराबर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। स्पीकर परवेज अशरफ की अध्यक्षता में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया। इससे यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकता आम जनता की मदद करने के बजाय अपने नेताओं को सुविधाएं मुहैया कराना है।

 

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