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बांग्लादेश मांगता रह जाएगा, भारत शेख हसीना को नहीं सौंपेगा, प्लान जानकर रह जाएंगे हैरान!

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश ने भारत को राजनयिक नोट भेजा है और भारत सरकार ने इसकी पुष्टि की है. इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत शेख हसीना को सौंप देगा. इतिहास गवाह है कि वहां की सरकार ने अपने विरोधियों से कैसा व्यवहार किया है. जानिए भारत का क्या है प्लान और वह बांग्लादेश को उसकी ही चाल में कैसे देगा मात.

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Muhammad Yunus, PM Modi & Sheikh Hasina
  • December 24, 2024 9:25 am Asia/KolkataIST, Updated 15 hours ago

नई दिल्ली. बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस बुलाकर केस चलाने के लिए पड़ोसी मुल्क परेशान है और उसने राजनयिक नोट भेजकर भारत से उन्हें सौंपने को कहा है. उनके ऊपर बांग्लादेश में  कई केस दर्ज कराये गये हैं जिसमें भ्रष्टाचार समेत कई कदाचार शामिल हैं. भारत और बांग्लादेश में प्रत्यर्पण संधि है और उसी को आधार बनाकर बांग्लादे भारत से शेख हसीना को सौंपने का आग्रह कर रहा है. बांग्लादेश की चाल से वाकिफ भारत ने भी इसका तोड़ निकाल लिया है और प्लान भी तैयार कर लिया है.


जयशंकर की अमेरिकी यात्रा के संदेश को समझें

विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका जा रहे हैं और उससे पहले ही अमेरिकी  राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस से बातचीत की और साफ संदेश दिया कि बांग्लादेश में रह रहे सभी लोगों की जानमाल और मानवाधिकार की सुरक्षा सुनिश्चत करना बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी है. इसमें किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. आपको बता दें कि बांग्लादेश में हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों पर लगातार हमले हो रहे हैं जिसको लेकर भारत में काफी आक्रोश है और मोदी सरकार से सेना भेजकर पड़ोसी मुल्क को सबक सिखाने की मांग हो रही है.


भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि

भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी जिसमें 2016 में संशोधन किया गया था. इसमें दोनों देशों की सीमाओं पर उग्रवाद और आतंकवाद से निपटने के लिए इसे जरूरी बताया गया था. इसी आधार पर बांग्लादेश ने औपचारिक नोट भेजा है लेकिन ऐसा करते समय वह भूल गया कि इस संधि में प्रत्यर्पण से इनकार की शर्तें भी हैं, जो साफ कहती हैं कि अगर अपराध राजनीतिक प्रकृति का है तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है.


इस आधार पर प्रत्यर्पण ठुकरा सकता है भारत

शेख हसीना के खिलाफ ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध प्राधिकरण ने मानवता विरोधी अपराध व जनसंहार केस में वारंट जारी किया है. वहां के हालातों का हवाला देते हुए भारत इसे राजनीतिक मामला बताते हुए प्रत्यर्पण अनुरोध ठुकरा सकता है या लटका सकता है. खास बात यह कि प्रत्यर्पण या ऐसे नोट का जवाब देने के लिए कोई समय सीमा नहीं है लिहाजा भारत इस पर न सिर्फ मौन साधेगा बल्कि अल्पसंख्यकों पर हो रहे मामले को और बड़ा मुद्दा बना सकता है. बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त रहे महेश सचदेवा ने एएनआई से बातचीत में कहा है कि वहां की सरकार की अपील के बावजूद शेख हसीना का प्रत्यर्पण रुक सकता है. इसके लिए शेख हसीना को सिर्फ अदालत में अपील करनी होगी.


प्रत्यर्पण से मनाही के और भी आधार

बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस सरकार चुनी हुई नहीं है बल्कि बंदूक के दम पर शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था इसलिए इसके हवाले से भा कहा जा सकता है कि जब तक वहां चुनी हुई वैध सरकार नहीं तब तक ये संभव नहीं. आपको याद होगा कि भारत ने यूरोप की जेलों में बंद आतंकवादियों को भारत भेजने की मांग की थी. विजय माल्या के प्रत्यर्पण की भी मांग हुई थी लेकिन भारत की जेलों की परिस्थितियों का हवाला देकर यूरोपीय देशों ने ऐसा करने से मना कर दिया था. इस मामले में भी वहां के हालात को आधार बनाया जा सकता है.


चालें चल रहा है बांग्लादेश

दरअसल बांग्लादेश को सब पता है कि भारत क्या करेगा लेकिन वह अपनी तरफ से चालें चल रहा है और दुनिया को संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि उनके आंतरिक मामले में भारत हस्तक्षेप कर रहा है लेकिन ऐसा करते समय वह भूल जा रहा है कि दुनिया देख रही है कि जिस भारत के सहयोग से बांग्लादेश का जन्म हुआ वहां पर हिंदुओं के साथ क्या सुलूक हो रहा है. इस बाबात भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से जब पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि हां बांग्लादेश से राजनयिक नोट मिला है.

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