दुनिया

पहले श्रीलंका फिर पकिस्तान, अब बांग्लादेश में बिगड़ी अर्थव्यवस्था! 50% उछले पेट्रोल के दाम

नई दिल्ली : श्रीलंका और पकिस्तान के बाद अब भारत का एक और पडोसी देश आर्थिक संकट के जाल में फंसता नज़र आ रहा है. ये देश है दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक बांग्लादेश जहां पर पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों ने अब पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया है. इस समय बांग्लादेश में डीजल और केरोसिन की कीमतों में लगभग पचास (42.5) फीसदी का इजाफा हुआ है.

बांग्लादेश भी आर्थिक तंगी का शिकार

इन बढ़ती कीमतों पर विशेषज्ञों का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई दर भी बढ़ सकती है. वहीं अधिकारियों का कहना है कि खुदरा स्तर के सामानों की कीमतों में ताजा बढ़ोतरी से सरकारी वितरण कंपनियों पर सब्सिडी का बोझ कम हो सकता है. ये नई कीमतें देश में बीते शनिवार ही लागू हुई हैं. जहां इसे लेकर महंगाई और भी बढ़ गई है. ऐसा करने से सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम होने की संभावना है. बिजली, ऊर्जा और खनिज संसाधन मंत्रालय के एक नोटिफिकेशन की मानें तो एक लीटर पेट्रोल की कीमत अब 130 टका है. वहीं एक लीटर ऑक्टेन की कीमत अब 135 टका (1.43 डॉलर) हो चुकी है बता दें, ये कीमत पहले 89 टका थी.

50 प्रतिशत बढे पेट्रोल के दाम

डीजल और केरोसिन की कीमतों में बांग्लादेश में 42.5 फीसदी बढ़ौतरी हुई है. डीजल और केरोसिन 114 टका प्रति लीटर पर बिक रहा है. अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन की कीमतों की तुलना करें तो बांग्लादेश की तुलना में ये कीमतें बहुत अधिक हैं. अगर देश की अर्थव्यवस्था की बात करें तो बांग्लादेश की 416 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वर्षों से दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रही है. हालांकि, हाल ही में बढ़ती ऊर्जा और खाद्य कीमतों को लेकर देश का आयात बिल बढ़ा है, जिससे सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित वैश्विक कर्ज वाली एजेंसी से लोन की मांग करती पड़ी.

महंगाई दर बढ़ी

बिजली, ऊर्जा और खनिज संसाधन राज्य मंत्री नसरुल हामिद का कहना है कि- ‘नई कीमतें हर किसी के लिए सहनीय नहीं हो सकती हैं लेकिन इसके अलावा हमारे पास और कोई विकल्प नहीं था. इस समय में लोगों को धैर्य रखना होगा’ इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि यदि वैश्विक स्तर पर कीमतें गिरती हैं, तो बढ़े हुए रेट को समायोजित किया जाएगा. बांग्लादेश की मुद्रास्फीति दर लगातार नौ महीनों से 6 फीसदी से अधिक ही रही है. जुलाई में वार्षिक मुद्रास्फीति 7.48 फीसदी तक पहुंच जाने से हालात और भी गंभीर दिखाई दे रहे हैं.

Riya Kumari

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