नई दिल्ली। बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना के इस्तीफे और अंतरिम सरकार के गठन के बाद वहां के हालात गंभीर हैं। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों की पकड़ मजबूत हो गई है। इसी के साथ अब बांग्लादेश में राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ को बदलने की मांग हो रही है। […]
नई दिल्ली। बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना के इस्तीफे और अंतरिम सरकार के गठन के बाद वहां के हालात गंभीर हैं। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों की पकड़ मजबूत हो गई है। इसी के साथ अब बांग्लादेश में राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ को बदलने की मांग हो रही है। आपको बता दें कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ प्रसिद्ध बंगाली संगीतकार रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था।
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के पूर्व अमीर गुलाम आज़म के बेटे अब्दुल्लाहिल अमन आज़मी ने देश के राष्ट्रगान और संविधान में बदलाव की मांग की है। अमन आज़मी ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था, “मैं राष्ट्रगान का मामला इस सरकार पर छोड़ता हूँ। हमारा मौजूदा राष्ट्रगान हमारे स्वतंत्र बांग्लादेश के अस्तित्व के विपरीत है। यह बंगाल विभाजन और दो बंगालों के विलय के समय को दर्शाता है। दो बंगालों को एकजुट करने के लिए बनाया गया राष्ट्रगान एक स्वतंत्र बांग्लादेश का राष्ट्रगान कैसे हो सकता है? यह राष्ट्रगान 1971 में भारत द्वारा हम पर थोपा गया था। कई गीत राष्ट्रगान के रूप में काम कर सकते हैं। सरकार को एक नया आयोग बनाकर नया राष्ट्रगान चुनना चाहिए।”
अमन आज़मी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश के धार्मिक मामलों के सलाहकार एएफएम खालिद हुसैन ने शनिवार को कहा कि अंतरिम सरकार की बांग्लादेश के राष्ट्रगान को बदलने की कोई योजना नहीं है। राजशाही में इस्लामिक फाउंडेशन का दौरा करने के बाद हुसैन ने मीडिया से कहा, “अंतरिम सरकार विवाद पैदा करने के लिए कुछ भी नहीं करेगी।”
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