नई दिल्ली। पड़ोसी देश बांग्लादेश में महीने से चल रहे आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के बाद पीएम शेख हसीना ने सोमवार,5 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। पीएम के देश छोड़ने के बाद अलग-अलग जगहों पर हिंसा और आगजनी की गई। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेशी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान […]
नई दिल्ली। पड़ोसी देश बांग्लादेश में महीने से चल रहे आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के बाद पीएम शेख हसीना ने सोमवार,5 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। पीएम के देश छोड़ने के बाद अलग-अलग जगहों पर हिंसा और आगजनी की गई। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेशी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मशरफे मुर्तजा का घर जला दिया। प्रदर्शनकारी सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के सांसद मुर्तजा से इसलिए नाराज थे क्योंकि उन्होंने कथित ‘नरसंहार और छात्रों की सामूहिक गिरफ्तारी’ पर चुप्पी साध रखी थी।
बता दें कि मुर्तजा 117 मैचों में बांग्लादेश की कप्तानी कर चुके हैं। 6 टेस्ट, 220 वनडे और 54 टी20 मैचों में वो 2,955 रन बनाये। क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने 2018 में अपनी सियासी पारी की शुरुआत की। शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग में शामिल होकर उन्होंने नरैल -2 निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। इसके अलावा बांग्लादेश के चीफ जस्टिस के घर में घुसकर प्रदर्शनकारियों ने लूटपाट की। बांग्लादेश में शासन व्यवस्था धवस्त हो गई है। सड़कों पर एक भी पुलिस नहीं है।
बता दें कि 1971 में जब बांग्लादेश आजाद हुआ था तो वहां 80 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हुआ। इसमें पिछड़े जिलों के लिए 40%, स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30% और महिलाओं को 10% का आरक्षण दिया गया। वहीं सामान्य छात्रों के लिए महज 20 फीसदी सीटें रखी गई। बाद में पिछड़े जिलों के आरक्षण को घटाकर 10% कर दिया गया, जिसके बाद सामान्य छात्रों के लिए 45% सीटें आरक्षित हो गई। वहीं स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-बेटियों को मिलने वाले आरक्षण में उनके पोते-पोतियों को भी जोड़ दिया गया।
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