खालिदा जिया के पति जियाउर रहमान बांग्लादेश के सेना प्रमुख भी थे। बाद में वो देश के राष्ट्रपति बने थे। साल 1981 में सेना से जुड़े हुए कुछ लोगों ने ही उनकी हत्या कर दी थी।
नई दिल्ली। बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। सरकार ने शेख हसीना के पिता के नाम को टेक्स्ट बुक की नई किताबों से हटाने का निर्णय लिया है। मौजूदा सरकार बांग्लादेश के पुस्तकों में बदलाव करेगी।
डेली स्टार न्यूज के मुताबिक अब से बच्चों को किताब में ये बताया जाएगा कि उन्हें साल 1971 में पाकिस्तान से आजादी मुजीबुर रहमान ने नहीं बल्कि खालिदा जिया के पति जियाउर रहमान ने दिलाई थी। खालिदा जिया के पति जियाउर रहमान बांग्लादेश के सेना प्रमुख भी थे। बाद में वो देश के राष्ट्रपति बने थे। साल 1981 में सेना से जुड़े हुए कुछ लोगों ने ही उनकी हत्या कर दी थी।
अब यूनुस सरकार ने नई किताब में मुजीब से राष्ट्रपिता की उपाधि हटा ली है। यह किताब प्राइमरी से लेकर सेकेंड्ररी लेवल तक के छात्र को पढ़ेंगे। आपको बता दें कि बांग्लादेश में हमेशा से यह विवादों में रहा है कि वहां पर आजादी की घोषणा किसने की थी। आवामी लीग यह दावा करती है कि घोषणा बंगबंधु मुजीब उर रहमान ने की थी, वहीं खालिदा जिया की बीएनपी जियाउर रहमान को इसका क्रेडिट देती है। वहां सरकार बदलने के साथ साथ टेक्स्ट बुक के किताबों में भी बदलाव होता रहता है।
इधर बांग्लादेश की एक अदालत ने इस्कॉन संत चिन्मय दास प्रभु की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इसके बाद उन्हें जेल में ही रहना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के 11 वकीलों ने चिन्मय दास के लिए दलील दी थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी। चिन्मय दास देश द्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं। उनके जेल जाने के बाद से हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और बढ़ गए हैं।