नई दिल्ली। पाकिस्तान के लिए उसका सबसे बड़ा प्रांत बलूचिस्तान अब सबसे बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है। बलूचिस्तान में अलगाव की चिंगारी बढ़ती जा रही है। इस्लामाबाद में बैठे हुक्मरान जिस बलूचिस्तान को कभी अपनी जमींदारी समझते थे, उस प्रांत में अब बलूच लड़ाकों का दबदबा है।
पाक सेना की पकड़ कमजोर
बलूचिस्तान में इस वक्त जमीनी हकीकत ये है कि पाकिस्तानी सेना की पकड़ धीली होती जा रही है। पाक सेना की पकड़ अब राजधानी क्वेटा के इर्दगिर्द ही सिमटती हुई दिख रही है। बलूचिस्तान की सड़कों पर अब सिर्फ बलूच लड़ाकों की तूती बोल रही है। मौजूदा हालात ये हो गए हैं कि अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस को अब इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए बलूच विद्रोहियों से मंजूरी लेने की जरूरत पड़ रही है।
चीन को भेजनी पड़ी निजी सेना
बलूच लड़ाकों के लगातार बढ़ते हमलों को देखते हुए चीन ने पहली बार अपनी निजी सेना पाकिस्तान भेजी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने अपने इंजीनियरों और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए निजी सुरक्षा बलों को पाकिस्तान में तैनात किया है। चीन ने अपनी तीन निजी सुरक्षा कंपनियों- चाइना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप, दवे सिक्योरिटी फ्रंटियर सर्विस ग्रुप और हुआक्सिन झोंगशान सिक्योरिटी सर्विस को पाकिस्तान में नियुक्त किया है। बताया जा रहा है कि ये चीनी सैनिक अब पाक सेना के साथ मिलकर काम करेंगे।