नई दिल्ली। अमेरिका में छंटनी के बाद हज़ारों भारतीय कर्मचारियों ने अपनी नौकरोयों से हाथ धो दिए हैं। कई लोग कामकाजी वीजा के तहत निर्धारित अवधि के भीतर नया रोजगार हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। नौकरी न मिलने पर उन्हें भारत लौटना पड़ सकता है। बता दें कि, दुनियाभर के विकसित […]
नई दिल्ली। अमेरिका में छंटनी के बाद हज़ारों भारतीय कर्मचारियों ने अपनी नौकरोयों से हाथ धो दिए हैं। कई लोग कामकाजी वीजा के तहत निर्धारित अवधि के भीतर नया रोजगार हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। नौकरी न मिलने पर उन्हें भारत लौटना पड़ सकता है। बता दें कि, दुनियाभर के विकसित देशों में मंदी के लक्षण दिखने लगे हैं। ये मंदी खासतौर पर भारतीय मूल के आईटी व्यवसाय के लिए भारी पड़ती दिख रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले 90 दिनों में अमेरिका में आईटी क्षेत्र में दो लाख से भी ज्यादा कर्मचारियों ने अपनी नौकरियों को गंवाया। इस छंटनी में 30 से 40 प्रतिशत यानी लगभग 60 से 80 हजार भारतीय एम्प्लॉई शामिल है।
नौकरी से हटाने के कार्य में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी बड़ी आईटी कंपनियों से लेकर छोटे स्टार्टअप के नाम मौजूद है। कंपनियों से हटाए गए बेरोज़गार नया रोज़गार तलाश करने के लिए काफी मेहनत कर रहे है। अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें तो नौकरियों से हटाए गए कर्मचारियों में से ज्यादातर भारतीय आईटी पेशेवर एच-1बी या एल1 वीजा पर अमेरिका गए थे।
दुनियाभर में सबसे सफल अमेरिकन टेक इंडस्ट्री इस वक़्त मुश्किल दौर से गुज़र रही है। जहां पिछले एक हफ्ते में करीब 50 हजार लोगों को नौकरियों से हटाया गया है। इसकी शुरुआत करते हुए पहले स्नैपचैट ने 1000 लोगों को नौकरी से बेदख़ल किया। इसके बाद रॉबिनहुड ने 780 लोगों को निकला। फिर ट्विटर ने भी 3500 से अधिक लोगों को बेरोज़गार किया। इसमें लिफ्ट, मेटा, अमेजन, सेल्सफोर्स, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल भी शामिल है। पिछले हफ्ते ही माइक्रोसॉफ्ट ने 10 हज़ार कर्मचारियों की छंटनी की है।
दिल्ली का अगला मेयर, गुजरात चुनाव और फ्री रेवड़ी, मनीष सिसोदिया ने बताए सारे राज!
India News Manch पर बोले मनोज तिवारी ‘रिंकिया के पापा’ पर डांस करना सबका अधिकार