नई दिल्ली. बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सुर्ख़ियों में बने हुए हैं. केजरीवाल के सुर्ख़ियों में बने होने की वजह उनकी एक प्रेस कांफ्रेंस है, जिसमें उन्होंने इंडोनेशिया की तर्ज पर भारत में भी नोटों पर गाँधी जी के साथ लक्ष्मी गणेश की भी फोटो होनी चाहिए. वहीं, भाजपा ने उनके इस बयान […]
नई दिल्ली. बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सुर्ख़ियों में बने हुए हैं. केजरीवाल के सुर्ख़ियों में बने होने की वजह उनकी एक प्रेस कांफ्रेंस है, जिसमें उन्होंने इंडोनेशिया की तर्ज पर भारत में भी नोटों पर गाँधी जी के साथ लक्ष्मी गणेश की भी फोटो होनी चाहिए. वहीं, भाजपा ने उनके इस बयान पर पलटवार भी किया है. भाजपा का कहना है कि अब चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल हिंदू कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे हैं.
पक्ष विपक्ष में भले ही इस समय आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा हो लेकिन इंडोनेशिया के नोटों की चर्चा खूब हो रही है. हर कोई जानना चाहता है कि ये नोट आखिर है कैसा, आइए आज आपको इस नोट और छपने वाले देश के बारे में बताते हैं-
दरअसल, इंडोनेशिया एक मुस्लिम देश है, यहाँ 85 फीसदी से ज्यादा मुस्लिमों की आबादी है, यहां 2 फीसदी से भी कम हिंदू हैं, लेकिन नोट पर गणेश जी की तस्वीर छपी हुई है. केजरीवाल ने भी इंडोनेशिया के इसी नोट का उदाहरण दिया है और भारत में ऐसे नोट की मांग की है.
यहां एक 20 हजार का नोट है, जिस पर गणेश जी की तस्वीर अंकित है, इंडोनेशिया की करेंसी को रुपैया कहते हैं. नोट में ठीक गणेश जी की तस्वीर के साथ हजर देवंतारा की फोटो लगी है. नोट के पिछले साइड में एक क्लासरूम की तस्वीर है जिसमें बच्चे पढ़ाई करते हुए नज़र आ रहे हैं.
ऐसा माना जाता है कि पहले इंडोनेशिया पर हिंदू शासन का प्रभाव था और पहली सदी में यहां हिंदू शासकों का राज था, इसलिए धर्म और संस्कृति में हिंदुओं की छाप आज भी देखने को मिलती है, वहीं इसे लेकर सालों से एक कहानी भी चली आ रही है. कहा जाता है कि पुराने ज़माने में कोई देश ऐसा नहीं था जिसकी अर्थव्यवस्था न चरमरा गई हो. इसके बाद वित्त मंत्री ने कहा कि जब सभी एशियाई देश अपनी करेंसी के गिरने से परेशान थे तब किसी ने नोट पर गणेश लक्ष्मी की तस्वीर लगाने की सलाह दी, फिर क्या था डूबती हुई अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए इंडोनेशिया ने ऐसा ही किया और उसकी आर्थिक हालत में सुधार आने लगा, बस तब से इंडोनेशिया के नोट पर भगवान गणेश की तस्वीर बनी हुई है. ये सिर्फ एक कहानी है, जो सुनी-सुनाई बातों पर आधारित है इसमें कितनी सच्चाई है, ये किसी को नहीं पता.
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