नई दिल्ली: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में शनिवार- रविवार देर रात हुई वोटिंग में इमरान खान सरकार गिर गई है। 342 सदस्यों वाली सदन में विपक्ष को 174 वोट मिले, जो सरकार बनाने के लिए पूर्ण है। किसी भी पार्टी को सत्ता में आने के लिए 342 में से 172 वोटों की जरूरत होती है. खबरों के मुताबिक संयुक्त विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ देश के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं। यहाँ आपको बता दें कि शहबाज शरीफ अकेले ऐसे नेता नहीं है जिन्होंने इमरान खान सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई है बल्कि उनके साथ कहीं ऐसा नेता है जिन्होंने खान को आउट करने में मदद की है। अब इन सभी नेताओं को नई सरकार में अहम जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं आइए जानते है कौन कौन निभाएगा नई सरकार में जिम्मेदारी?
पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के भाई शहबाज खान शरीफ मुल्क के नए वजीरे आजम बनेंगे। संयुक्त विपक्ष ने वोटिंग से पहले ही उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। शहबाज शरीफ 13 अगस्त 2018 से सदन के सदस्य है और वे विपक्ष के नेता भी हैं। इससे पहले शहबाज शरीफ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
सिंध परिवार से ताल्लुकात रखने वाले आसिफ अली जरदारी नेशनल असेंबली में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता हैं। आसिफ अली साल 2008 से 2013 में पाकिस्तान के 11वें राष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे 2018 से नेशनल असेंबली के सदस्य है। साल 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद वे पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह-अध्यक्ष बने। इसके 1 साल बाद वे पीएमएल-एन की मदद से देश के राष्ट्रपति बने।
बेनजीर भुट्टो और आसिफ अली जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी अपनी मां की हत्या के बाद 19 साल की उम्र में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बन गए थे। बिलावल भुट्टो ने अपनी शिक्षा-दीक्षा ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी से पूरी की है। बिलावल भुट्टो को उनकी मां की तरह ही प्रगतिशील माना जाता है क्योंकि वे महिलाओं और अल्पसंख्यकों की आवाज उठाते हैं और उनके लिए काम करते हुए नजर आए है। माना जा रहा है कि उन्हें नई सरकार में कोई अहम जिम्मेदारी मिल सकती है।
इस्लामवादी कट्टरपंथी के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी जमीयत उलेमा ए इस्लाम के चीफ हैं। मौलाना पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता भी रह चुके है। जमीयत उलेमा ए इस्लाम पार्टी कभी भी अपने बलबूते पर सत्ता में नहीं आई है लेकिन आमतौर पर इस पार्टी की हर सरकार में अहम भूमिका रही है। मौलाना और इमरान खान के बीच छत्तीस का आंकड़ा बताया जाता है क्योंकि इमरान खान ने जेमिमा गोल्डस्मिथ से शादी की थी और मौलाना उन्हें ‘वहूदी’ कहते थे। वहीं मौलाना का ईंधन लाइसेंस भ्रष्टाचार में नाम होने की वजह से इमरान खान उन्हें मुल्ला डीजल के नाम से बुलाते थे।
इमरान सरकार में सूचना प्रद्योगिकी और दूरसंचार मंत्री रहे खालिद मकबूल सिद्दीकी ने 2020 में खान सरकार का साथ छोड़ दिया था और वे विपक्ष में शामिल हो गए थे। माना जा रहा है कि इमरान खान सरकार को गिराने में उनकी अहम भूमिका है और नई सरकार में उन्हें एक नई जिम्मेदारी मिल सकती है। खालिद मकबूल सिद्धकी साल 2018 से नेशनल असेंबली के सदस्य हैं
नवाबजादा शाह जैन बुगती साल 2018 से नेशनल असेंबली के सदस्य हैं। उन्होंने जुलाई 2021 से मार्च 2022 तक खान सरकार की बलूचिस्तान में सुलह और सद्भाव पर प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष सहायक के रूप में कार्य किया है। साल 2018 में जम्हूरि वतन पार्टी के सदस्य के तौर पर वे सदन में चुने गए थे। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान ये विपक्ष के साथ खड़े थे।
तारीक बशीर चीमा 5 सदस्यों वाली पीएमएल क्यू पार्टी के महासचिव है। वे 20 जून 2013 से नेशनल असेंबली के सदस्य हैं। चीमा ने 1980 में गवर्नमेंट हाई स्कूल सजवल वाला में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के छात्र विंग के लिए एक कार्यकर्ता के ररूप में कार्य किया है और यहीं से उनेक राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी. अविश्वास प्रस्ताव में उन्होंने खान सरकार के खिलाफ वोटिंग की थी.
इमरान सरकार को सत्ता से बेदखल करने में मोहसिन जावेद डावर का भी हाथ है. वे साल 2018 से नेशनल असेंबली के सदस्य है और पश्तून तहफुज मूवमेंट (पीटीएम) के नेता भी है. इससे पहले उन्होंने राष्ट्रीय युवा संगठन (एनवाईओ) और पश्तून स्टूडेंट्स फेडरेशन (पीएसएफ), अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के यूथ विंग के तौर पर काम किया है.
मुहम्मद अली वजीर
पश्तून नेता मुहम्मद अली वजीर ने अविश्वास प्रस्ताव में इमरान खान सरकार के खिलाफ वोटिंग की थी. वे साल 2018 से असेंबली के सदस्य है. इमरान खान ने
अपनी पार्टी पीटीआई से मुहम्मद अली वजीर को 2018 के चुनाव में टिकट देने की बात कही थी, लेकिन मुहम्मद अली वजीर ने इमरान का यह प्रस्ताव ठीकरा दिया था. इस चुनाव में पीटीआई ने वजीर के खिलाफ अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा और वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत गए.
खालिद हुसैन मैगसी पाकिस्तान के बलूचिस्तान आवामी पार्टी के नेता है और वे साल 2018 से नेशनल असेंबली के सदस्य है. इमरान सरकार को क्लीन बोल्ड करने में खालिद हुसैन मैगसी का भी हाथ है.
अख्तर मेंगल बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल) के अध्यक्ष है और वे साल 1997 और 1998 के बीच बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री रह चुके है. 59 वर्षीय मेंगल वर्तमान में पाकिस्तान नेशनल असेंबली के सस्दय है. उन्होंने भी अविश्वास प्रस्ताव में इमरान सरकार के खिलाफ वोटिंग की थी.
मणिपुर में चल रही लड़कियों की ट्रेनिंग पूरे 45 दिनों की है। ट्रेनिंग के हर…
अजय देवगन की साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म नाम सिनेमाघरों में रिलीज की गई है। फिल्म की…
शहद सेहत के लिए कई लाभ भी देता है, लेकिन अगर शहद के उपयोग में…
विटामिन बी-12 की कमी से एनीमिया हो सकता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ अक्सर मानते हैं कि…
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास से 8837.77 करोड़ रुपये…
ब्लाइंड टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम ने पाकिस्तान का दौरा करने से इंकार…