नई दिल्ली: बांग्लादेश में मंगलवार-5 अगस्त को हुए तख्तापलट ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. ढाका की सड़कों पर लाखों की संख्या में प्रदर्शनकारी उमड़ पड़े. उन्होंने प्रधानमंत्री आवास और पार्लियामेंट पर कब्जा कर लिया है. हालांकि इससे पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देकर भारत रवाना हो चुकी थीं. लेकिन अब […]
नई दिल्ली: बांग्लादेश में मंगलवार-5 अगस्त को हुए तख्तापलट ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. ढाका की सड़कों पर लाखों की संख्या में प्रदर्शनकारी उमड़ पड़े. उन्होंने प्रधानमंत्री आवास और पार्लियामेंट पर कब्जा कर लिया है. हालांकि इससे पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देकर भारत रवाना हो चुकी थीं.
लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि आरक्षण के विरोध में शुरू हुए इस प्रदर्शन ने इतना व्यापक रूप कैसे ले लिया कि प्रधानमंत्री हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा. कुछ लोग इसके पीछे विदेशी ताकतों के होने की बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि अमेरिका ने अपनी खुफिया एजेंसी CIA के जरिए हसीना सरकार का तख्तापलट कराया है.
बता दें कि बंगाल की खाड़ी में करीब तीन वर्ग किलोमीटर का समुद्री टापू है. ये छोटा-सा टापू आधिकारिक तौर पर बांग्लादेश की प्रॉपर्टी है. इसका नाम सेंट मार्टिन आइलैंड है. बताया जा रहा है कि अमेरिका की नजर इस टापू पर बहुत सालों से है. वो यहां पर एक सैन्य बेस का निर्माण करना चाहता है. अमेरिका ने कई बार हसीना सरकार पर दबाव डाला कि वह ये टापू उसे दे दे. लेकिन शेख हसीना बार-बार इनकार कर देती थीं.
मालूम हो कि साल 2001 में मीडिया से बात करते हुए शेख हसीना ने खुलेआम टापू की लेकर अपनी बात रख दी थी. उन्होंने विरोधी पार्टी बीएनपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि मैं जानती हूं कि ये लोग कैसे सत्ता में हैं. ये अमेरिका को हमारी जमीनें बेच रहे हैं. इसके बाद मई 2024 में इशारों में भी हसीना ने इशारों-इशारों में कहा था कि ‘गोरी चमड़ी वाले एयरबेस, हवाई पट्टी मांग रहे हैं. लेकिन उनकी मांग कभी पूरी नहीं होगी.’
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