नई दिल्ली: सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले पहले व्यक्ति की इस प्रक्रिया से गुजरने के तकरीबन दो महीने बाद मृत्यु हो गई है। मृतक के परिजनों और हॉस्पिटल की ओर से यह जानकारी दी गई है। रिचर्ड रिक स्लेमैन नाम के शख्स की मार्च में ‘मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल’ में किडनी ट्रांसप्लांट कराई गई थी। […]
नई दिल्ली: सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले पहले व्यक्ति की इस प्रक्रिया से गुजरने के तकरीबन दो महीने बाद मृत्यु हो गई है। मृतक के परिजनों और हॉस्पिटल की ओर से यह जानकारी दी गई है। रिचर्ड रिक स्लेमैन नाम के शख्स की मार्च में ‘मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल’ में किडनी ट्रांसप्लांट कराई गई थी। उस समय डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें इस बात की उम्मीद है कि किडनी कम से कम दो साल तक अच्छे से काम करेगी।
अब शख्स की मौत हो गई है तो उसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट करने वाली टीम ने एक बयान जारी करके कहा कि स्लेमैन की मृत्यु से वो बहुत दुखी हैं और उनके परिवार के प्रति संवेदना जाहिर करते है। हालांकि, टीम ने यह भी कहा कि उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है कि ट्रांसप्लांट की वजह से ही उनकी मौत हुई है।
रिचर्ड काफी समय से डायबिटीज से जूझ रहे थे जिसकी वजह से उनकी किडनी खराब हो गई थी। करीब सात साल तक डायलीसिस पर रहने के बाद वर्ष 2018 में मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल में उन्हें एक इंसान की किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी लेकिन 5 साल के भीतर ही वह फेल हो गई। जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें सुअर की किडनी लगाई थी।
रिचर्ड को जिस सुअर की किडनी लगाई गई थी उसे मेसाच्यूसेट्स के ईजेनेसिस ऑफ कैंब्रिज केंद्र में बनाया गया था। डॉक्टरों ने सुअर से उस जीन को निकाल दिया था, जिसकी वजह से इंसान को कोई खतरा हो सकता था, साथ ही इंसान के कुछ जीन को भी इसमें जोड़ा गया, जिससे किडनी क्षमता में इजाफा हुआ। ईजेनेसिस कंपनी ने सुअर से उन वायरस को भी डिएक्टिव कर दिया था, जिससे इंसान को किसी प्रकार को कोई इंफेक्शन हो सकता था।
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