20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे, इससे पहले अमेरिका में यह लगातार दूसरा बड़ा आतंकी हमला है, जिसके बाद माना जा रहा है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप शपथ लेते ही कुछ बड़े फैसले ले सकते हैं।
नई दिल्लीः अमेरिका के न्यू ऑरलियन्स में हुए आतंकी हमले के बाद अब ट्रंप के होटल के बाहर हुए धमाके ने हड़कंप मचा दिया है। लास वेगास में ट्रंप होटल के बाहर टेस्ला कंपनी के साइबरट्रक में धमाका हुआ, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और सात लोग घायल हो गए। बुधवार को न्यू ऑरलियन्स में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें कम से कम 15 लोग मारे गए थे और 30 से ज्यादा घायल हुए थे। इस हमले को अंजाम देने वाले शमसुद्दीन बहार जब्बार की पहचान हुई है, जिसे पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है। आरोपी की कार से इस्लामिक स्टेट का झंडा भी बरामद किया गया है।
इन हमलों में अमेरिका में दहशत का माहौल है। एफबीआई हमले की जांच में जुटी है। 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे, इससे पहले अमेरिका में यह लगातार दूसरा बड़ा आतंकी हमला है, जिसके बाद माना जा रहा है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप शपथ लेते ही कुछ बड़े फैसले ले सकते हैं।
न्यू ऑरलियन्स और लास वेगास में हुए हमलों से मुसलमानों के खिलाफ संदेह और भेदभाव को बढ़ावा मिल सकता है। शम्सुद्दीन ने कभी अमेरिकी सेना में सेवा की थी, लेकिन इसके बावजूद वह ISIS से प्रभावित था और उसने अपने ही देशवासियों को मार डाला। ऐसे में जब हमलावर खुद को ISIS से जोड़ता है, तो आम जनता में मुसलमानों के प्रति डर और अविश्वास पैदा होना स्वाभाविक है। इसके कारण मुस्लिम समुदाय को नस्लीय और धार्मिक भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि आतंकवादियों के कृत्य पूरी धार्मिक पहचान को प्रभावित करते हैं।
न्यू ऑरलियन्स और लास वेगास में हुए आतंकवादी हमलों के बाद मुसलमानों को उनके धार्मिक प्रतीकों, जैसे इस्लामी पहचान से जुड़े कपड़े, या सार्वजनिक रूप से मुस्लिम होने के कारण अधिक निगरानी और आलोचना का सामना करना पड़ सकता है। आपको बता दें कि अमेरिका में 09/11 के आतंकवादी हमलों के बाद भी मुसलमानों को भारी भेदभाव का सामना करना पड़ा था और उनके लिए हालात बेहद खतरनाक हो गए थे।
आपको बता दें कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में कई बार ‘कट्टरपंथी इस्लाम’ और आतंकवाद से निपटने के लिए सख्त नीतियों का समर्थन किया था। वे 2025 में भी इन नीतियों को और मजबूती से लागू कर सकते हैं। ट्रंप पहले भी मुस्लिम बहुल देशों से अमेरिकी नागरिकों की यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के लिए नीतियां ला सकते हैं। इसके साथ ही ट्रंप मस्जिदों, धार्मिक संगठनों और मुस्लिम व्यक्तियों की डिजिटल गतिविधियों की निगरानी रखने के लिए बड़े कदम उठा सकते हैं। साथ ही वे उन मुस्लिम देशों पर और अधिक आर्थिक दबाव बढ़ा सकते हैं, जिन्हें आतंकवाद का समर्थक माना जाता है।
न्यू ऑरलियन्स में हुए हमलों के आरोपी शम्सुद्दीन द्वारा बनाए गए वीडियो और सोशल मीडिया पर हिंसक विचारों को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों से साफ होता है कि कट्टरपंथी विचारधारा ऑनलाइन अधिक तेजी से फैल रही है। ऐसे में ट्रंप टेक कंपनियों पर दबाव डाल सकते हैं कि वे आतंकी सामग्री को हटाने और उसकी पहचान करने में अधिक सक्रियता से मदद करें।
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