दुनिया का लगभग एक तिहाई हिस्सा समुद्र से ढका हुआ है। हवाई जहाज की सुविधा के पहले, लोग समुद्र के रास्ते लंबी यात्राएं किया करते थे।
नई दिल्ली: दुनिया का लगभग एक तिहाई हिस्सा समुद्र से ढका हुआ है। हवाई जहाज की सुविधा के पहले, लोग समुद्र के रास्ते लंबी यात्राएं किया करते थे। आज भी, समुद्री मार्गों का उपयोग सामान की ढुलाई के लिए किया जाता है। लेकिन इनमें से कुछ रास्ते बेहद खतरनाक होते हैं। बरमूडा ट्रायंगल के बारे में तो आप जानते ही होंगे, लेकिन क्या आपने ड्रेक पैसेज के बारे में सुना है? यह समुद्री मार्ग अपनी खतरनाक परिस्थितियों के कारण “जहाजों का कब्रिस्तान” भी कहलाता है। आइए जानते हैं ड्रेक पैसेज के बारे में विस्तार से।
ड्रेक पैसेज, दक्षिण अमेरिका के केप हॉर्न और अंटार्कटिका के साउथ शेटलैंड द्वीपों के बीच स्थित एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है। यह अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है। इसकी चौड़ाई लगभग 800 किलोमीटर है और इसकी गहराई 3,400 से 4,800 मीटर के बीच होती है। यह जलमार्ग समुद्री यातायात के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
ड्रेक पैसेज की अत्यधिक खतरनाक परिस्थितियों के कारण इसे दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक माना जाता है। यहाँ की हवाएँ अक्सर 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं। इसके अलावा, दक्षिणी महासागर की खतरनाक लहरें अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच से गुजरती हैं, जिससे यह क्षेत्र बहुत अस्थिर और खतरनाक हो जाता है। यहाँ का मौसम अक्सर अप्रत्याशित रूप से बदलता रहता है, जिससे स्थिति और भी कठिन हो जाती है।
ड्रेक पैसेज का नाम अंग्रेज़ी समुद्री खोजकर्ता सर फ्रांसिस ड्रेक के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1578 में इस मार्ग की खोज की थी। तब से लेकर अब तक, इस मार्ग में 500 से अधिक जहाज डूब चुके हैं। यही कारण है कि इस जगह को “जहाजों का कब्रिस्तान” भी कहा जाता है। यहाँ की कठिन परिस्थितियों के कारण, नाविक इस मार्ग का उपयोग करने से कतराते हैं। छोटे नाविक इस रास्ते से बचते हैं, जबकि बड़े जहाज भी अत्यधिक सावधानी बरतते हैं। ड्रेक पैसेज की ये खतरनाक परिस्थितियाँ और इसके इतिहास ने इसे समुद्री दुनिया में एक कुख्यात नाम बना दिया है।
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