Advertisement
  • होम
  • दुनिया
  • अमेरिका ने भारतीयों पर लगाया नौकरियां छीनने का आरोप, चुनाव में बेरोजगारी बनी बड़ा मुद्दा

अमेरिका ने भारतीयों पर लगाया नौकरियां छीनने का आरोप, चुनाव में बेरोजगारी बनी बड़ा मुद्दा

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रोजगार एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, क्योंकि अमेरिकी नागरिक नई सरकार से महंगाई और बेरोजगारी पर नियंत्रण लगाने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि चुनाव से पहले कई रिपोर्टों में यह आरोप लगाया गया है कि अमेरिका में विदेशी मूल के लोगों की मौजूदगी के कारण अमेरिकी नागरिकों […]

Advertisement
America Election, Important issues on america election, Indians in america, Jobs
  • November 3, 2024 9:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रोजगार एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, क्योंकि अमेरिकी नागरिक नई सरकार से महंगाई और बेरोजगारी पर नियंत्रण लगाने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि चुनाव से पहले कई रिपोर्टों में यह आरोप लगाया गया है कि अमेरिका में विदेशी मूल के लोगों की मौजूदगी के कारण अमेरिकी नागरिकों को नौकरी नहीं मिल रही है।

10 लाख से ज्यादा नौकरियों पर कब्जा

ट्रंप समर्थक अर्थशास्त्रियों और MAGA मीडिया ने श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले वर्ष 800,000 अमेरिकी नागरिकों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं, जबकि विदेशी श्रमिकों ने 10 लाख से अधिक नौकरियों पर कब्जा कर लिया है। इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिकी श्रम बाजार में विदेशी श्रमिकों और सरकारी नौकरशाहों की भरमार है। वहीं कई संस्थाएं अमेरिकी मूल के नागरिकों की जगह विदेशी मूल के लोगों को नौकरी देने को प्राथमिकता दे रही हैं, जिसके कारण कोविड-19 महामारी के बाद केवल कुछ ही अमेरिकी नागरिकों को रोजगार प्राप्त हुआ है।

3 करोड़ से अधिक विदेशी नागरिक

ब्रेइटबार्ट की रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी लोग अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल हो रहे हैं और इससे मूल अमेरिकी नागरिकों को रोजगार पाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। प्यू रिसर्च सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, 2022 तक 3 करोड़ से अधिक अवैध अप्रवासी और विदेशी नागरिक अमेरिकी नौकरियों पर कब्जा कर चुके हैं।

इससे यह सवाल उठता है कि क्या विदेशी श्रमिकों की संख्या में वृद्धि के कारण अमेरिका के मूल निवासियों को रोजगार के अवसरों में कमी आई है। वहीं चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा बन चूका है और नागरिक इस समस्या के समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें:  मौत को देना है दावत तो महंगाई पर बोलो, सरकार बनी कसाई, 29 बच्चें को उतार सकती मौत के घाट

Advertisement