September 24, 2024
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Afghan embassy closed in India: अफगानी दूतावास बंद होने के तीन कारण

नई दिल्ली. भारत में आज अफगानी दूतावास बंद हो गया. शनिवार की रात दूतावास ने बयान जारी कर बताया कि ऐसा करना अफगानिस्तान के हित में है. मुंबई और हैदराबाद स्थित वाणिज्यिक दूतावास काम करते रहेंगे. हालांकि उनके कामकाज करने को लेकर भी विवाद है क्योंकि उन्होंने इस बाबत अलग बयान जारी किया था.

आखिर क्यों बंद हुआ अफगानी दूतावास

इसके तीन कारण बताये जा रहे हैं. अपने बयान में दूतावास ने कहा है कि मेजबान मुल्क से हमें मदद नहीं मिल रही है. जिसकी वजह से हम कारगर तरीके से काम नहीं कर पा रहे हैं.

दूसरा कारण यह है कि अफगानिस्तान में वैध सरकार न होने से दूतावास अफगानी नगारिकों की जरूरतों और हितों की रक्षा नहीं कर पा रहा है.

जबकि तीसरा कारण कर्मचारियों और संसाधनों की कमी को बताया गया है. वीजा रिन्यू करने से लेकर अन्य कामों के लिए वहां की सरकार से अपेक्षित सहायता नहीं मिल रही है.

इमर्जेंसी कंसुलर सेवाएं जारी रहेंगी

दूतावास ने कहा है कि इमर्जेंसी कंसुलर सेवाएं जारी रहेंगी. विएन संधि के तहत दूतावास की संपत्ती मेजबान मुल्क यानी भारत को सौंप दी जाएगी. दूतावास ने यह भी स्पष्ट किया है कि दूतावास के कर्मचारियों में मतभेद या झगड़े की बात बेबुनियाद है और इस बाबत भारतीय विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है कि दूतावास को बंद करने में मदद करे.

साथ में यह भी कहा है कि अफगानिस्तान के झंडे को दूतावास पर लहराने दिया जाए और उसे वैध सरकार को ही सौंपा जाए.

दूतावास का वाणिज्य दूतावास से टकराव

दूतावास ने यह भी साफ कर दिया है कि दोनों वाणिज्य दूतावासों ने जो काम काज जारी करने का फैसला किया है ये अफगानिस्तान में चुनी हुई वैध सरकार के उद्देश्यों के विपरीत है. 2021 में अशरफ गनी सरकार को हटाने के बाद तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था.

नतीजतन अधिकांश देशों ने अफगानी दूतावासों में तालिबान की नियुक्तियों को स्वीकारने से मना कर दिया था. इसके विपरीत रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान जैसे देशों ने तालिबान द्वारा नियुक्त लोगों को स्वीकार कर लिया लेकिन भारत उन देशों में शामिल है जिसने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी.

उसने 2020 में ग़नी सरकार द्वार नियुक्त किए राजदूत फ़रीद मामुन्दज़ई को ही मान्यता दी. वो पिछले क़रीब तीन साल से भारत में काम कर रहे हैं, बेशक काफी समय से वह बाहर रह रहे है.

असलियत कुछ और

हकीकत यह है कि अफगानिस्तान में अभी कोई वैध सरकार नहीं है, तालिबान बंदूक के दम पर वहां की सत्ता पर कब्जा किये हुए है. इस वजह से दूतावास को काम करने में दिक्कत हो रही थी.

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