पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान क्षेत्र में बलूच यकजेहती समिति की प्रमुख महरंग बलूच को आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया। बलूच वो लड़की हैं, जिन्हें 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया है।
नई दिल्ली। पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान क्षेत्र में बलूच यकजेहती समिति की प्रमुख महरंग बलूच को आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया। बलूच वो लड़की हैं, जिन्हें 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया है। महरंग बलूच के गायब होने पर पाकिस्तान में बवाल शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि महरंग को जेल में डाल दिया गया है। उन्हें अपने वकील से मिलने तक की इजाजत नहीं दी जा रही। आइये जानते हैं महरंग बलूच के बारे में।
महरंग बलूच क्वेटा में स्थित जिला जेल में 150 से ज्यादा अन्य लोगों के साथ बंद हैं। पाकिस्तानी सेना द्वारा उनके ऊपर आतंकवाद, हत्या और हिंसा भड़काने के आरोप लगाए गए हैं। महरंग की बहन अस्मा बलूच ने आरोप लगाया है कि महरंग की गिरफ़्तारी के 36 घंटे से ज्यादा हो गए लेकिन अब तक उन्हें वकील तक से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है।
बीवाईसी के सदस्यों पर जाफर ट्रेन हादसे में मारे गए पांच लोगों के शवों को क्वेटा के सिविल अस्पताल के मुर्दाघर से जबरन ले जाने का आरोप है। पुलिस का कहना है कि महरंग और उसके साथियों ने न केवल शव चुराए बल्कि हिंसा भी भड़काई, पुलिस पर गोलियां चलाईं और सड़कें जाम कीं और देश विरोधी नारे लगाए। लेकिन बीवाईसी और महरंग के समर्थक इसे बलूचों की आवाज दबाने के उद्देश्य से सरकार की साजिश बता रहे हैं।
31 वर्षीय महरंग बलूच पेशे से डॉक्टर हैं। 1993 में जन्मी महरंग ने 2006 में बलूचों के अधिकारों के लिए लड़ाई शुरू की थी। उनके पिता एक राष्ट्रवादी नेता थे, जिनका 2009 में अपहरण कर लिया गया था और 2011 में उनका शव मिला। 2017 में उनके भाई का भी अपहरण हो गया, जिसके बाद वो पूरी तरह से आंदोलन में कूद पड़ीं। उनके प्रयासों से 2018 में उनका भाई वापस आ गया। 2019 में उन्होंने BYC का गठन किया और छोटी-छोटी बैठकों के ज़रिए लोगों को जोड़ा। आज उनके साथ बुजुर्ग महिलाएं, युवा और बच्चे भी जुड़ चुके हैं। वो कहती हैं, “मुझे अब मौत का डर नहीं है। मैं अपने लोगों के लिए लड़ती रहूंगी। महंरग के कहने पर लाखों बलूचिस्तानी अपनी जान तक देने को तैयार हैं।