96 प्रतिशत मुस्लिम आबादी के साथ मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान , उन मुस्लिम देशों में शामिल हैं जहां सबसे अधिक मात्रा में मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं. ताजिकिस्तान में इतनी बड़ी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद वहां की संसद ने मुस्लिम धर्म में बड़ा मुकाम रखने वाले, ‘हिजाब’ को देश में प्रतिबंधित करने का फैसला किया है.
ताजिकिस्तान ने बैन किया हिजाब
दरअसल ताजिकिस्तान की ऊपरी सदन मजलिसी मिल्ली ने 19 जून को एक विधेयक संसद में पारित किया था, जिसमें वहां के बच्चों के दो प्रमुख बिलों को मंजूरी दी गई. पहला, जिसमें ईद उल फितर और ईद उल अजहा पर बच्चों के त्यौहार मनाने पर प्रतिबंध लगाया है. दूसरा सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं के हिजाब और मिनी स्कर्ट पर प्रतिबंध लगाना शामिल है.
इसी हफ्ते बुधवार को ताजिकिस्तान की संसद का 18वां सत्र शुरू हुआ था. जिसमें अध्यक्ष ने इन बिलों को मंजूरी दे दी. इन दोनों बिलों को निचले सदन से पहले ही 8 मई को मंजूरी मिल गई थी. अब जिसे ऊपरी सदन में भी बहुमत के साथ पारित किया गया था.
कई सालों से बैन करने की थी तैयारी
ताजिकिस्तान में हिजाब को प्रतिबंधित करने के लिए साल 2007 से ही तैयारियांं चल रही थी. साल 2007 में ही ताजिकिस्तान के शिक्षा मंत्री ने पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए इस्लामी परिधान और वेस्टर्न स्टाइल मिनी स्कर्ट दोनों पर प्रतिबंध लगाया था. बाद मे ताजिकिस्तान सरकार ने इस प्रतिबंध को देश के अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी लागू कर दिया था.
सरकार ने दिया तर्क
प्रतिबंध लगाने के पीछे अधिकारियों ने तर्क दिया है कि हिजाब और अन्य इस्लामिक परिधान लगातार खाड़ी देशों से ताजिकिस्तान में आ रहे हैं. जिसे अब देश में बढ़ते चरमपंथ को बढ़ने के खतरे के रूप में देेखते हुए इसे प्रतिबंधित करने का फैसला किया गया. मजलिसी प्रेस सेंटर के अनुसार, सत्र के दौरान छुट्टियों में, सांस्कृतिक प्रथाओं, बच्चों के विकास में शिक्षकों की अहम भूमिका और पैरेंट्स के कर्तव्यों से संबंधित ताजिकिस्तान के कानूनों में हुए बदलाव का समर्थन किया. बच्चों की छुट्टियों पर प्रतिबंध के पीछे उचित शिक्षा, रमजान और बकरीद के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने को वजह बताया गया है.