काठमांडू. नेपाल में 2006 से एक दशक तक गृहयुद्ध का नेतृत्व कर चुके दल ‘नेपाली एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी’ चौथी बार टूट की कगार पर है. पुष्प कमल दहाल उर्फ प्रचंड के नेतृत्व वाले दल से पूर्व वरिष्ठ नेता एवं नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई अलग रास्ता अख्तियार करने की राह पर हैं.
भट्टराई सितंबर में पार्टी से अलग हो गए थे और उन्होंने पार्टी द्वारा स्वीकारे गए नेपाल के नए संविधान के प्रति नाखुशी जाहिर की थी. वह भारत में आम आदमी पार्टी (आप) की तर्ज पर एक नई पार्टी का गठन करने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी नई पार्टी समाजवादी विचारधारा की होगी, न कि कट्टर वामपंथी पार्टियों जैसी.
माओवादी दलों की केंद्रीय समितियों, स्थायी समितियों और पोलित ब्यूरो के कुल 45 सदस्यों ने भट्टराई की नई पार्टी से जुड़ने के लिए मंगलवार को अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया.
माओवादी नेता राम रिजन यादव ने बताया कि भट्टराई के निवास पर इन नेताओं ने बैठक की और माओवादी पार्टी छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने कहा, “हमने पार्टी सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है.”
इससे पहले, 2009 में मात्रिका यादव गुट यूसीपीएन-एम से अलग हो गया था. उसके बाद 2012 में मोहन बिधाया किरन के नेतृत्व में भी पार्टी का एक धड़ा अलग हुआ था.
2014 में पार्टी तीसरी बार टूटी, जब प्रचंड के लंबे समय से सहयोगी रहे नेत्रा बिक्रम चंद ने पार्टी से अलग होकर अपना अलग वामपंथी दल गठित कर लिया. पार्टी नेताओं का कहना है कि नई पार्टी का गठन एक से डेढ़ महीने के भीतर हो जाएगा.