ग्लोबल वॉर्मिग का खतरा आने वाले वक्त में और गंभीर हो सकता है. एक नई रिसर्च के मुताबिक़, आने वाले कुछ सालों में विश्व में लगभग तीन डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ सकता है. यह ग्लोबल वार्मिग को नियंत्रित करने के लक्ष्य से एक डिग्री सेल्सियस अधिक है. अगर दुनियाभर के देश कार्बन उत्सर्जन को लेकर वर्तमान नीतियों पर अड़े रहे, तो तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी होगी.
लंदन. ग्लोबल वॉर्मिग का खतरा आने वाले वक्त में और गंभीर हो सकता है. एक नई रिसर्च के मुताबिक़, आने वाले कुछ सालों में विश्व में लगभग तीन डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ सकता है. यह ग्लोबल वार्मिग को नियंत्रित करने के लक्ष्य से एक डिग्री सेल्सियस अधिक है. अगर दुनियाभर के देश कार्बन उत्सर्जन को लेकर वर्तमान नीतियों पर अड़े रहे, तो तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी होगी.
बता दें कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस में दिसंबर में होने वाले सम्मेलन के लिए 90 फीसदी कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार कुल 155 देशों ने अपने कार्बन उत्सर्जन को घटाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित लक्ष्य (आईएनडीसी) को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) को सौंपा है.
यूरोपियन कमिशन ज्वाइंट रिसर्च सेंटर के मुताबिक, यदि आईएनडीसी का अच्छी तरह क्रियान्वयन हुआ, तो साल 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन साल 2010 के स्तर का लगभग 17 फीसदी अधिक तक हो सकता है.
शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैश्विक उत्सर्जन साल 2020 में अधिकतम होगा, जबकि उसके बाद साल 2030 तक इसमें गिरावट आकर यह साल 2010 के स्तर से 10 फीसदी कम हो जाएगी. हालांकि रिसर्च में यह भी पता चला है कि साल 2030 के ठीक पहले वैश्विक उत्सर्जन साल 2020 के स्तर से 12 फीसदी तक अधिक हो सकती है.