काठमांडू. नेपाल और चीन को जोड़ने वाले दो सड़क मार्ग करीब छह महीने बाद वापस खुल गए हैं. 25 अप्रैल को नेपाल में आए विनाशकारी भूंकप के बाद से नेपाल को चीन से जोड़ने वाली रउवागड़ी-केरूंग चौकी बंद थी.
अब इस मार्ग के खुलने से नेपाल, भारत की अपेक्षा चीन से अपनी जरुरी चीजें आयात करने की योजना बना रहा है. नेपाल के अधिकारियों के मुताबिक़, बुधवार को तिब्बत के लिए फिर से रास्ता खुलने से इस नए रास्ते को लेकर उनकी उम्मीदें बढ़ गई हैं.
काठमांडू पोस्ट में छपी ख़बर के मुताबिक़, नेपाल ऑयल कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सीमा-चौकियां खुल जाने के बाद से तिब्बत के रास्ते चीन से तेल आयात करने की संभावनाएं बढ़ गई हैं.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि चीन से तेल आयात करना लंबी योजना का हिस्सा है और दोनों देशों के बीच समझौते का इंतज़ार है. सूत्रों के मुताबकि कुछ दिनों से नेपाल में भारत की कथित आर्थिक नाकेबंदी के कारण नेपाल में तेल संकट गहरा गया है. डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस और कई अन्य जरूरी सामान के लिए नेपाल भारत पर ही निर्भर रहा है.
नेपाल में जारी समस्या के लिए नेपाल जिम्मेदार
हालांकि भारत ने नेपाल के आर्थिक नाकेबंदी के आरोपों को निराधार बताया है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि नेपाल में वर्तमान स्थिति के लिए भारत जिम्मेदार नहीं है. पहले नेपाल अपने यहां के हालात सुधारे.
इसके अलावा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा है कि नेपाल में जारी समस्या के लिए नेपाल ही जिम्मेदार है. मधेशी समुदाय संविधान में संशोधन को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहा है जिसके कारण भारत-नेपाल सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है. नेपाल में अशांति के कारण भारतीय सामान वहां नहीं पहुंच पा रहा है.
नेपाल में नई सरकार बनने से होंगे रिश्ते सामान्य
नेपाल के प्रधानमंत्री खडग प्रसाद शर्मा ओली ने एक पत्रिका को दिए गए इंटरव्यू में कहा है कि भारत और नेपाल के बीच सदियों से रिश्ता रहा है और रहेगा. मैं सकारात्मक सोच का व्यक्ति हूं और इतना ही कह सकता हूं कि भारत के साथ रिश्ते और मजबूत होंगे.
नेपाल के स्थानीय लोगों में है भारत के प्रति नाराजगी
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वर्ष पहले ही नेपाल के साथ 10 समझौते करके और दोनों देशों के बीच बस सेवा शुरू करके नेपाल के लोगों के दिलों में जगह बनाई थी, लेकिन अब कहानी कुछ बदली-बदली सी नजर आ रही है.