नेपाल में आर्थिक नाकेबंदी के लिए भारत नहीं नेपाल सरकार जिम्मेदार: मधेशी

नेपाल सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा कथित आर्थिक नाकाबंदी के खिलाफ आवाज बुलंद की है और ऐसे में मधेशियों की पीड़ा को भी संयुक्त राष्ट्र को महसूस करना होगा. उन्होंने सरकार को दो टूक कहा कि जब तक समस्या का समाधान नहीं होगा उनकी नाकाबंदी जारी रहेगी और इसके लिए वह भारत को जिम्मेदार न ठहराएं. उन्होंने कहा कि आंदोलन से भारत का कोई लेना-देना नहीं है.

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नेपाल में आर्थिक नाकेबंदी के लिए भारत नहीं नेपाल सरकार जिम्मेदार: मधेशी

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  • October 7, 2015 2:31 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago

काठमांडू. नेपाल सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा कथित आर्थिक नाकाबंदी के खिलाफ आवाज बुलंद की है और ऐसे में मधेशियों की पीड़ा को भी संयुक्त राष्ट्र को महसूस करना होगा. उन्होंने सरकार को दो टूक कहा कि जब तक समस्या का समाधान नहीं होगा उनकी नाकाबंदी जारी रहेगी और इसके लिए वह भारत को जिम्मेदार न ठहराएं. उन्होंने कहा कि आंदोलन से भारत का कोई लेना-देना नहीं है. 

आपको बता दें कि भारत-नेपाल सीमा से सटे इलाकों में तराई थारुहट संघर्ष समिति और मधेशी समुदाय द्वारा की गई नाकाबंदी के लिए नेपाल सरकार ने भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए यूएन में आवाज उठाई है. नेपाल सरकार के इस कदम से समिति के आंदोलनकारी दु:खी हैं.  
 
मधेश प्रांत की स्थापना को लेकर शुरू हुआ आंदोलन 
नेपाल में झापा से कंचनपुर तक मधेश प्रांत की स्थापना की मांग को लेकर दो माह पूर्व आंदोलन ने गति पकड़ी थी. इस दौर में आंदोलन खूनी संघर्ष से गुजरा और इसमें अभी तक 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें पुलिस अधिकारी भी शामिल थे. आंदोलनकारियों ने भारत सीमा से सटे इलाकों में नाकाबंदी कर खाद्यान्न और पेट्रोलियम पदार्थ के वाहनों को नेपाल में प्रवेश करने से रोक दिया है, जिसके चलते नेपाल खाद्यान्न और पेट्रोलियम संकट के दौर से गुजर रहा है. वहीं आंदोलनकारियों की समस्या हल करने के बजाय नेपाल सरकार ने नाकाबंदी के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए यूएन में आवाज उठाई है. 
 
मधेशी समुदाय: सरकार आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही 
मधेश प्रांत की स्थापना की मांग कर रहे संयुक्त तराई थारुहट मधेस संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि वे सरकार के इस कदम से दुखी हैं. समीति के प्रवक्ता व तराई मधेस लोकतांत्रित पार्टी के केंद्रीय सदस्य पशुपति दयाल मिश्र का कहना है कि 150 वर्ष पूर्व राजशाही के दौरान राणा शासन और अंग्रेजों में समझौता हुआ था. उसके तहत बलरामपुर स्टेट का भूभाग नेपाल को सौंप दिया गया था. तभी से हम लोग नेपाल के नागरिक हो गए. नागरिकता भी हासिल हुई.
 
उन्होंने कहा कि ऐसे में अलग मधेस प्रदेश की स्थापना की मांग करना गुनाह नहीं है. हम मूलभूत सुविधाओं के लिए अपना अधिकार मांग रहे हैं. ऐसे में नेपाल सरकार भारत को निशाना बनाकर हमारे आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है. सरकार चाहती है कि उसके इस कदम से आंदोलन से ध्यान हट जाए, लेकिन ऐसा नहीं होगा. 
 
संघर्ष समिति के सचिव व नेपाल उद्योग वाणिज्य संघ के ललित रौनियार भी नेपाल सरकार के कदम से दु:खी हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलन से नेपाल को अरबों का नुकसान हुआ है. हमें अपने अधिकार और हक के लिए आवाज बुलंद करने का हक है. अगर हम आवाज नहीं उठा सकते तो फिर कैसा लोकतंत्र. इससे ठीक तो राजशाही ही थी.
 
मधेशी समुदाय: आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा 
तराई मधेस लोकतांत्रिक पार्टी के सदस्य व सद्भावना पार्टी गजेंद्र गुट के जिलाध्यक्ष राजकिशोर मिश्रा ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है. जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी, नाकाबंदी चलेगी. ऐसे में भारत पर आरोप मढ़ना सरासर गलत है. नेपाल सरकार के इशारे पर पुलिस आंदोलनकारियों का दमन कर रही है. हम किसी भी कीमत पर नाकाबंदी खत्म नहीं करेंगे. 
 
IANS
 

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