काठमांडू. नेपाल ने भारत की कथित आर्थिक नाकेबंदी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में शिकायत कर दी है. कुछ दिनों पहले नेपाल ने आरोप लगाया था कि भारत उसकी अघोषित आर्थिक नाकेबंदी कर रहा है.
नेपाल में संविधान बनने के बाद मधेशी और अन्य समुदायों के विरोध के चलते नेपाल-भारत सीमा पर तेल ले जाने वाले टैंकर्स की लंबी लाइन लगी हुई है. सूत्रों के मुताबिक नेपाल के पास सिर्फ चार दिनों के लिए पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी रिज़र्व रह गए हैं.
नेपाल के उपप्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह की अगुआई में नेपाली प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून से इस मसले पर बात की. उन्होंने कहा कि भारतीय सीमा पर व्यापारिक मार्ग में बाधा से नेपाल में जरूरी वस्तुओं की किल्लत हो गई है.
नेपाली प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है कि नेपाल के अधिकारों का हनन न हो. भारतीय वाणिज्य दूतावास की प्रमुख अंजू रंजन ने वहां कहा है कि भारत की तरफ से कोई नाकाबंदी नहीं की गई है.
नेपाल में बढ़ रहा है भारत विरोधी प्रदर्शन
आवाजाही रुकने से नेपाल के कई इलाकों में भारत के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. वहां के लोगों का आरोप है भारत नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी कर रहा है. सोशल मीडिया पर भी भारत की तीखी आलोचना हो रही है.
काठमांडू पोस्ट में छपी खबर के मुताबिक़ मधेशी समुदाय के विरोध प्रदर्शनों के चलते नेपालगंज-रूपईदिहा मार्ग पर परिवहन रुका हुआ है. भारत-नेपाल सीमा पर मधेशी कई जगहों पर आवाजाही रोक रहे हैं.
नेपाली अर्थव्यवस्था को करीब 1 बिलियन डॉलर का नुकसान
सड़क यातायात के ज़रिए नेपाल में भारत से कई तरह के सामान की आपूर्ति होती है. विरोध प्रदर्शन के चलते वहां ईंधन की भारी किल्लत हो गई है.
फेडरेशन ऑफ नेपालीज चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक़ परिवहन अवरुद्ध हो जाने के कारण नेपाल की अर्थव्यवस्था को करीब 1 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है.