काठमांडू. नेपाल में संविधान बनने के बाद मधेशी और अन्य समुदायों के विरोध प्रदर्शन के चलते नेपाल-भारत सीमा पर तेल ले जाने वाले ट्रकों की लंबी लाइनें लगी हुई हैं. सूत्रों के मुताबिक, नेपाल के पास सिर्फ चार दिनों के लिए पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी रिज़र्व रह गए हैं. कुछ ही दिनों पहले, नेपाल के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने आरोप लगाया था कि भारत नेपाल की अघोषित आर्थिक नाकेबंदी कर रहा है. हालांकि भारतीय वाणिज्य दूतावास की प्रमुख अंजू रंजन का कहना है कि भारत की तरफ से कोई नाकाबंदी नहीं की गई है.
नेपाल की अर्थव्यवस्था को करीब 1 बिलियन डॉलर का नुकसान
काठमांडू पोस्ट में छपी खबर के मुताबिक़, मधेशी समुदाय के विरोध प्रदर्शनों के चलते नेपालगंज-रूपईदिहा मार्ग में परिवहन रूका हुआ है. भारत-नेपाल सीमा में यह समुदाय कई स्थानों में परिवहन की आवाजाही को रोक रहा है. आपको बता दें कि भारत और नेपाल के बीच सड़क यातायात के ज़रिए नेपाल में कई तरह के सामान की आपूर्ति होती है. विरोध प्रदर्शनों के चलते वहां ईंधन की भारी किल्लत हो गई है. फेडरेशन ऑफ नेपालीज चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक़, परिवहन के मार्ग अवरूद्ध हो जाने के कारण नेपाल की अर्थव्यवस्था को करीब 1 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है.
ईंधन की भारी किल्लत के चलते, नेपाल के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि सरकार ईधन के संकट से जूझ रही है और सभी अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनें अपनी उड़ानों के लिए ईधन का इंतेज़ाम ख़ुद करें. काठमांडू में अधिकतर निजी तेल पंप बंद हैं जबकि सरकारी पंपों पर लंबी कतारें लगी हैं.
नेपाल में भारत के खिलाफ प्रदर्शन
परिवहन की आवाजाही रुकने से नेपाल के कई स्थानों में भारत के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. वहां के लोगों का आरोप है भारत नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी कर रहा है. सोशल मीडिया पर भी भारत की तीखी आलोचना हो रही है.