यूरोप में बिना दफ्तर के काम करने वाले लोगों के अच्छे दिन आ गए हैं. यूरोपीय देशों की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि ऐसे लोगों के घर से काम पर जाने और काम से घर पर लौटने को भी काम के ही घंटे में शामिल माना जाएगा.
लग्ज़मबर्ग. यूरोप में बिना दफ्तर के काम करने वाले लोगों के अच्छे दिन आ गए हैं. यूरोपीय देशों की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि ऐसे लोगों के घर से काम पर जाने और काम से घर पर लौटने को भी काम के ही घंटे में शामिल माना जाएगा.
इस फैसले का यूरोपीय देशों में व्यापक असर होगा. अगर कर्मचारियों के काम के घंटे घटेंगे तो उस सेवा को पूरा करने के लिए नए कर्मचारी रखने पड़ेंगे या मौजूदा कर्मचारियों को ज्यादा काम के लिए ज्यादा वेतन देना पडे़गा.
यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस के इस फैसले का लाभ ऐसे कर्मचारियों को ही मिलेगा जिनकी कंपनी का उस कर्मचारी के शहर में कोई दफ्तर नहीं है लेकिन वो अपनी कंपनी के लिए फील्ड में सर्विस देते हैं.
कोर्ट ने माना कि दफ्तर नहीं रखना कंपनी का फैसला है जिसके लिए कर्मचारी जवाबदेह नहीं है. इलेक्ट्रिशियन, सर्विस एग्जीक्युटिव, सेल्स एग्जीक्युटिव और इसी तरह की दूसरी नौकरी करने वाले लोग जो अपने घर से सीधे ग्राहकों की सेवा में जाते हैं और ग्राहक दर ग्राहक काम निपटाते हुए घर लौट जाते हैं उन्हें इस फैसले का लाभ मिलेगा.
स्पेन के कर्मचारियों ने जीती लड़ाई, ब्रिटिश सरकार के पेट में दर्द
स्पेन की एक सिक्योरिटी सर्विस कंपनी टाइको के कर्मचारियों की तरफ से दायर मुकदमे में कोर्ट ने ये फैसला दिया है. कोर्ट ने ब्रिटेन की सरकार की इस दलील का ठुकरा दिया कि काम पर आने-जाने को भी काम मान लेने से बिजनेस करना महंगा होगा.
यूरोपीय यूनियन वर्किंग टाइम रेगुलेशन के मुताबिक कर्मचारी को रेस्ट पीरिडय देना जरूरी है और एक सप्ताह में उससे 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकता.
ब्रिटेन सरकार और वहां के उद्योगपति इस रेगुलेशन का विरोध कर रहे हैं. ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन अपने देश के यूरोपीय यूनियन में बने रहने पर जो मोल-भाव कर रहे हैं उसमें इस रेगुलेशन को खत्म करना या बदलना भी एक अहम मुद्दा है.