कोलंबो. श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने आज संसदीय चुनावों के अंतिम परिणामों की घोषणा से पहले ही अपनी हार स्वीकार कर ली. 69 वर्षीय राजपक्षे ने कहा कि उनका यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के साथ कड़े मुकाबले के बाद हार गई है.
दो बार राष्ट्रपति रह चुके राजपक्षे के हवाले से मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि उन्होंने ‘एक अच्छी लड़ाई के बाद’ हार स्वीकार कर ली है. राजपक्षे ने कहा कि उनके यूपीएफए ने आठ जिलों में जीत हासिल की है और विक्रमसिंघे की यूएनपी ने कुल 22 में से 11 जिले जीते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि न तो यूएनपी और न ही यूपीएफए को ही 225 सदस्यीय सदन में 113 का सामान्य बहुमत मिलने जा रहा है.
यूएनपी को अधिकतर चुनावी खंडों में वोट मिले हैं जबकि यूपीएफए को जनवरी में हुए राष्ट्रपति पद के चुनावों की तुलना में वोटों का नुकसान उठाना पड़ा है. अंतिम परिणाम प्रत्येक बड़े दल द्वारा जीते गए जिलों की संख्या पर निर्भर होगा. उत्तर के तमिल जिलों में, तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) एकतरफा जीत हासिल करती हुई दिखाई दे रही है. शुरुआती परिणामों ने दिखाया है कि टीएनए जाफना जिले में लगभग 60 प्रतिशत वोटों के साथ जीत हासिल करेगी.
राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने संकल्प लिया था कि अगर राजपक्षे की यूपीएफए बहुत हासिल करती भी है तो भी वह राजपक्षे को प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे. पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति राजपक्षे को चुनौती देने के लिए विपक्षी एकता के उम्मीदवार बनकर सामने आने से पहले सिरीसेना राजपक्षे के स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं। उस समय उन्होंने राजपक्षे को चुनावों में करारी शिकस्त देकर स्तब्ध कर दिया था. चुनाव आयुक्त देशप्रिया ने कहा कि उन्हें दोपहर तक दलों की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. 196 सदस्यों का निर्वाचन पांच साल के कार्यकाल के लिए होगा जबकि हर पार्टी को मिले वोटों के राष्ट्रीय अनुपात के आधार पर 29 सदस्य नियुक्त किए जाएंगे.
एजेंसी