अजहर मसूद की फिर ढाल बनेगा चीन, आतंकी घोषित करने के खिलाफ करेगा ‘वीटो’ का इस्तेमाल
चीन एक बार फिर से इस प्रस्ताव के खिलाफ वीटो पॉवर का इस्तेमाल करें. इससे पहले भी चीन वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने से बचा चुका है.
October 31, 2017 5:33 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. चीन एक बार फिर से जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र के आतंकियों की सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगाने जा रहा है. हो सकता है कि चीन एक बार फिर से इस प्रस्ताव के खिलाफ वीटो पॉवर का इस्तेमाल करें. इससे पहले भी चीन वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने से बचा चुका है. पिछले साल चीन ने इस मुद्दे पर नौ महीने में तीन बार वीटो पॉवर का प्रयोग किया. जिसके बाद भारत ने चीन के इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था.
चीन एक बार फिर से मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी के तौर पर सूचीबद्ध करने के अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के प्रयास को बाधित करेगा. उसने अपने चिरपरिचित रुख को फिर दोहराया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों में इसे लेकर कोई सर्वसम्मति नहीं है. अजहर को वैश्विक आतंकी के तौर पर सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव पर अपनी तकनीकी रोक को चीन ने अगस्त में तीन महीने के लिए बढ़ा दिया था. सोमवार को चीन ने यह पुष्टि कर दी है कि वह एक बार फिर भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रयात को झटका देते हुए पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी घोषित करने से संबंधित प्रस्ताव को रोकेगा.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग से पूछा गया कि क्या चीन पाकिस्तान के कहने पर बार-बार यह रोक लगा रहा है. इस पर हुआ ने कहा कि चीन का मानना है कि समिति को वस्तुनिष्ठता, पेशेवर और निष्पक्षता के सिद्धांतों का पालन करते हुए ठोस सबूत के आधार पर सर्वसम्मति से फैसला लेना चाहिए. उन्होंने आतंकवाद पर पाकिस्तान के रिकॉर्ड का बचाव करते हुए कहा कि वह भी आतंकवाद का पीड़ित है और कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने में वह इस्लामाबाद का समर्थन करता है. पिछले वर्ष मार्च माह में 15 सदस्यीय देशों की संरा संस्था का चीन इकलौता ऐसा सदस्य था जिसने भारत के आवेदन पर रोक लगाई थी जबकि परिषद के बाकी के 14 सदस्यों ने मसूद अजहर को 1267 प्रतिबंधों की सूची में शामिल करने के नयी दिल्ली के प्रयासों का समर्थन किया था.