नई दिल्लीः चीन अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ में भारत को शामिल करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है. चीन का ऐसा मानना है कि भारत की मंजूरी के बिना वह इस परियोजना को पूरा करने में सफल नहीं हो सकता है. गुरुवार को चीन ने फिर कहा कि भारत को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव’ (BRI) पर अपना रूख बदलना चाहिए और इस परियोजना में हाथ से हाथ मिलाना चाहिए. चीन ने आगे कहा कि भारत के अपने रुख पर कायम रहने से कश्मीर मुद्दे पर बीजिंग का रुख नहीं बदलेगा.
बताते चलें कि भारत के इस परियोजना का विरोध करने की सबसे बड़ी वजह यह है कि ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से गुजर रही है और भारत इसे अपना हिस्सा मानता आया है. लिहाजा भारत इस परियोजना के PoK से गुजरने को अपनी संप्रभुता के खिलाफ मानता है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) वाली BRI परियोजना को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की पांच साल में एक बार होने वाली हाल ही में संपन्न कांग्रेस में पार्टी के संविधान में शामिल किया गया है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने इस परियोजना के बारे में कहा, ‘हम बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव (BRI) में भागीदारी के लिए भारत समेत अन्य देशों का स्वागत करते हैं.’ BRI का उद्देश्य सभी देशों की साझा समृद्धि और क्षेत्रीय देशों के बीच संपर्क को बढ़ावा देना है. यह पहल संबंधित मुद्दों पर चीन के रुख को प्रभावित नहीं करेगी. इससे पहले भारत ने सीपीईसी का विरोध जताया था क्योंकि यह विवादित क्षेत्र से गुजर रहा है. भारत ने मई में चीन द्वारा आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार किया था. वहीं इस मुद्दे पर विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा कि दक्षिण एशिया के लिए कनेक्टिविटी का हर प्रोजेक्ट अच्छा है, लेकिन यह सिद्धांतों के मुताबिक हों. भारत की संप्रभुता से किसी भी हाल में समझौता नहीं किया जा सकता.